संदर्भ अलग है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 3 मई को राजस्थान के सीकर में एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर जिस ‘मी टू मी टू’ का जिक्र किया, उसका संदर्भ पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर के ‘मी टू’ से सर्वथा अलग है. अकबर पर संपादक रहते उनकी कुछ सहकर्मियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. लेकिन बात बेबात तुकबंदी भिड़ाने के अभ्यस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीकर में ‘मी टू मी टू’ के जरिए कांग्रेस के यूपीए शासन में छह सर्जिकल स्ट्राइक करने लेकिन उसका कभी ढिंढोरा नहीं पीटने के दावे की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कांग्रेस अब सर्जिकल स्ट्राइक पर ‘मी टू मी टू’ कर रही है जबकि उसके शासन में हुए सर्जिकल स्ट्राइक कागजी थे. क्योंकि कांग्रेस की स्ट्राइक के बारे में न सेना, ना देश और ना ही पाकिस्तान को ही पता चला.
दरअसल, एक दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पुलवामा, उरी, पठानकोट आतंकी हमले के मास्टर माइंड आतंकी सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने का श्रेय लेते हुए इसे अपनी सरकार का सर्जिकल स्ट्राइक नंबर 3 घोषित किया था. इसी के जवाब में कांग्रेस ने कहा था कि यूपीए शासन में भी सेना ने छह बार सर्जिकल स्ट्राइक की थी. लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए इसका कभी ढिंढोरा नहीं पीटा था. कांग्रेस के छह सर्जिकल स्ट्राइक्स की ताईद मोदी सरकार के पहले सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो रहे लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने भी की है.
मसूद अजहर, वैश्विक आतंकवादी |
आतंकी सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के लिए भारत सरकार और खासतौर से भारतीय राजनय, संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन बधाई और सराहना के हकदार हैं. लेकिन क्या वाकई मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करना प्रधानमंत्री जी के शब्दों में ‘सर्जिकल स्ट्राइक 3’ है! संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सैंक्शन (प्रतिबंध लगानेवाली) समिति के प्रस्ताव को देखें तो माजरा कुछ और ही नजर आता है. मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के पुराने प्रस्तावों पर चीन वीटो लगाते रहा लेकिन इस बार जब प्रस्ताव को संशोधित करके पेश किया गया तब जाकर चीन उस पर से अपना वीटो हटाने को राजी हुआ. इसके अलावे भारत के साथ चीन का जो कूटनीतिक आदान प्रदान हुआ, सो अलग है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संशोधित प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और खासतौर से 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में मसूद अजहर और उसके आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की सहभागिता का जिक्र ही नहीं है. गौरतलब है कि इस हमले में हमारे सीमा सुरक्षा बल के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसकी जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद के खूंखार आतंकी सरगना मसूद अजहर और उसके संगठन ने ली थी. लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का संशोधित प्रस्ताव कहता है, ‘‘मसूद अजहर के अलकायदा और तालिबान के साथ जुड़ा होने के साथ ही अफगानिस्तान में पश्चिमी ताकतों से लड़ने के लिए लड़ाकों की भर्ती का आह्वान करने के लिए उसे ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित किया जाता है.’’ इस प्रस्ताव के बारे में अमेरिकी सीएनएन (केबल न्यूज नेटवर्क) की रिपोर्ट का अंश देखें,
"Azhar was sanctioned for his association with terror organizations such as Al-Qaeda and for "participating in the financing, planning, facilitating, preparing, or perpetrating of acts or activities" associated with JeM, the ISIL (Da'esh) and Al-Qaida Sanctions Committee said in a statement. Azhar's alleged association with the bombing in February, an attack on the Indian parliament in 2001 and other incidents in the Kashmir valley have not been listed in the statement."
कंधार में मसूद अजहर को आतंकवादियों के सुपुर्द करते तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह |
इसके बावजूद अगर प्रधानमंत्री मोदी अपनी पीठ थप थपाना चाहें तो उन्हें कौन रोक सकता है. लेकिन अगर यह प्रस्ताव सर्जिकल स्ट्राइक नंबर 3 है तो फिर जनवरी 2001 के पहले सप्ताह में मसूद अजहर और उसके साथ दो अन्य खूंखार आतंकवादियों को भारत की जेल से निकालकर तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह की देख रेख में भारी माल असबाब के साथ ससम्मान विमान में ले जाकर अफगानिस्तान के कंधार में उसके आतंकवादी साथियों को सौंपना क्या था! और फिर यूपीए सरकार के जमाने में हुए सैन्य आपरेशनों को कागजी बताकर कांग्रेस का उपहास करने वाले प्रधानमंत्री मोदी जी को यह बात याद है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमले के मास्टर माइंड, लश्करे तैयबा के मुखिया हाफिज सईद को 14 दिन के भीतर, 10 दिसंबर 2008 को मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा इसी संयुक्त राष्ट्र की
सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाया था. मोदी जी उसे कौन सा सर्जिकल स्ट्राइक नंबर कहेंगे!
हाफिज सईद, वैश्विक आतंकवादी |
हालांकि हाफिज सईद का वैश्विक आतंकी घोषित होने के बावजूद बाल भी बांका नहीं हुआ. वह अब भी बड़े ठाठ के साथ पाकिस्तान में अपने प्रतिबंधत संगठन ‘लश्करे तैयबा’ का नाम बदल कर ‘जमात उद् दावा’ और उसके चैरिटी विंग फलह ए इंसानियत फाउंडेशन के नाम से सक्रिय रहते हुए आतंकी गतिविधियां संचाालित करते रहा है. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने ‘जमात उद् दावा’ और ‘फलह ए इंसानियत फाउंडेशन’ पर भी प्रतिबंध लागू कर दिया है. सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि इन खूंखार आतंकी सरगनाओं के विरुद्ध पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को खुश करने के लिए दिखावे के तौर पर पाकिस्तान चाहे कुछ भी कहे, करे, असल में वह इन्हें पालता पोसता और इनका भारत में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के मामले में इस्तेमाल करता है.
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी को बात बेबात अपनी ‘उपलब्धियों’, वैश्विक नेताओं के साथ अपने बेहद करीबी, तू के संबोधनवाले रिश्तों का इस्तेमाल कर इन दोनों आतंकवादी सरगनाओं को भारत लाकर उन पर मुकदमा चलवाना और उन्हें उनके किए की सजा दिलवानी चाहिए थी. और हां, उस दाऊद इब्राहिम कास्कर का क्या हुआ! 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों का वह मास्टर माइंड, तस्कर सम्राट, आतंकी सरगना भी तो पाकिस्तान में ही जड़ जमाए बैठा है. मोदी जी को अपनी घर में घुसकर मारने की नीति उसके मामले में शिथिल क्यों पड़ गई. वह तो न जाने कब से उसे वापस लाकर उसके किए की सजा दिलाने की बात करते आ रहे (इधर आप उसकी चर्चा कुछ कम करने लगे हैं) थे. क्या हुआ, कोई समस्या, दबाव!
मेदी जी लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के दौरान लगातार कह रहे हैं कि उनके पांच वर्षों के शासन में देश में कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ और महाराष्ट्र को नक्सल मुक्त कर दिया गया है. तो फिर उरी, पठानकोट एयरबेस और अभी पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलांे और अभी चंद रोज पहले महाराष्ट्र के गढचिरोली जिले में नक्सलियों द्वारा हमारे हमारे 16 जवानों को सड़क पर आइईडी ब्लास्ट के जरिए मौत के घाट उतार दिए जाने को क्या कहेंगे! उरी, पठानकोट, पुलवामा में आतंकी हमलों, सीमा पर लगातार युद्ध विराम के उल्लंघन, गढ़चिरोली तथा, दंडकारण्य एवं देश के अन्य इलाकों में आए दिन नक्सली हमलों में शहीद होनेवाले हमारे जवानों के शव लगातार उनके घर पहुंचते रहने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी अगर यह कहते हैं कि उनके ही हाथों में देश सुरक्षित है! तो इस पर हंसी नहीं रोना ही आ सकता है.