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Saturday, 19 September 2020

In Switzerland ( Interlaken) With President Dr, Kalam (राष्ट्रपति डा. कलाम के साथ इंटरलॉकेन, स्विट्जरलैंड में )

डा. कलाम के साथ विदेश भ्रमण (7)


पर्यटकों के स्वर्ग स्विट्जरलैंड में (दूसरी किश्त)


महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के घर में


जयशंकर गुप्त

  

28 मई, शनिवार की सुबह डा. कलाम के साथ हम लोग स्विट्जरलैंड के राजधानी शहर बर्न के डाउन टाउन (ओल्ड टाउन) में स्थित उस अपार्टमेंट में भी गए, जहां रहते हुए कभी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने महान शोध के बाद सापेक्षता (रिलेटिविटी) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था. इसके लिए ही उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला था. इस घर को आइंस्टीन के नाम से संग्रहालय बना दिया गया है. उनके दो कमरों के फ्लैट में आइंस्टीन द्वारा इस्तेमाल की जानेवाली वस्तुओं को करीने से सजाकर यथावत रखा गया है. इस संग्रहालय की देखरेख करनेवाली ‘आइंस्टीन सोसाइटी’ ने इस फ्लैट को किराए पर लिया है.
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की गली में  


इस पूरे इलाके को यूनेस्को ने संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है. डा. कलाम वहां एक घंटा रहे. घर में संकरी सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ते हुए वह पहली मंजिल पर उस कमरे में पहुंचे जिसमें रहकर आइंस्टीन ने अपने प्रसिद्ध ‘सापेक्षता के सिद्धांत’ पर काम किया था. उन्होंने आइंस्टीन से जुड़ी स्मृतियों को यादगार बनाए रखने के लिए पहली मंजिल के कमरों में रखे एक-एक सामान को बड़ी बारीकी से देखा. कमरे में महात्मा गांधी के बारे में आइंस्टीन का प्रसिद्ध उद्धरण भी एक फ्रेम में टंगा था जिसमें उन्होंने कहा था, “आनेवाली पीढ़ियां शायद ही यकीन कर पाएं कि इस धरती पर महात्मा गांधी जैसा हाड़-मांस का कोई पुतला भी रहता था.” डा. कलाम ने उस सूट को बड़े गौर से देखा जिसे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन पहनते थे. इस महान वैज्ञानिक की स्मृतियों को सलाम करते हुए डा. कलाम ने विजिटर बुक में लिखा कि उस घर में जाना उनके लिए ‘तीर्थाटन’ जैसा था.


पर्यटकों और बालीवुड की पसंद इंटरलॉकेन में


  28 मई को हमारा अगला पड़ाव स्विट्जरलैंड में खूबसूरत स्विस आल्प्स पहाड़ियों के नीचे बर्नीज हाईलैंड में नयनाभिराम ब्रींज झील में नौकायन करते हुए इंटरलॉकेन में था.
इंटरलॉकेन के लिए खूबसूरत ब्रींज झील में नौकायन 
इंटरलॉकेन को पर्यटकों का स्वर्ग भी कहा जाता है. पूरब में ब्रींज और पश्चिम में थुन झीलों के बीच बसे इंटरलाकेन कस्बे के बीचोबीच आएर नदी बहती है. हॉलीवुड और बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए भी यह एक प्रिय और पसंदीदा जगह के रूप में जाना जाता है. यश चोपड़ा जैसे फिल्म निर्माता-निर्देशकों के लिए तो यह एक बेहद पसंसदीदा जगह बताई गई. अमिताभ बच्चन और रेखा अभिनीत ‘सिलसिला’, श्रीदेवी और अनिल कपूर की ‘चांदनी’ से लेकर शाहरुख खान और काजोल की ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’ जैसी बालीवुड की सफलतम फिल्मों के अधिकतर और खासतौर से रोमांटिक दृश्य यहीं और आसपास शूट किए गए थे. इससे पहले भी यश चोपड़ा की बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी थी. शायद यह भी एक कारण था कि यहां और पूरे स्विट्जरलैंड में यश चोपड़ा बहुत लोकप्रिय थे. उन्हें यहां सम्मानित भी किया जा चुका है. इंटरलाकेन में पांच सितारा होटल 'विक्टोरिया जंगंगफ्राऊ' अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आकर्षण का महत्पूवर्ण केंद्र है. दोपहर का भोजन हम सबने इस होटल में ही किया. कुछ ही दूरी लेकिन काफी ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र जंग फ्राऊ भी है. जहां रेल गाड़ी से जाने की सुविधा भी है.
 
आइजेल्टवॉाल्ड में डा. कलाम के स्वागत में खडे बच्चे
 इंटरलाकेन वाकई बहुत सुंदर और मनोहारी था. वहां पहुंचने से पहले डा. कलाम के साथ हम लोग ऑल्प्स पर्वतमालाओं के नीचे खूबसूरत ब्रींज झील के किनारे बसे गांव ‘आइजेल्टवॉल्ड’ पहुंचे. लगता था कि पूरा गांव डा. कलाम के स्वागत में सड़क पर उतर आया था. हाथों में स्विट्जरलैंड के राष्ट्रध्वज के साथ ही भारतीय राष्ट्रध्वज, तिरंगे को उठाए लोग गाजे-बाजे के साथ दोनों राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत में कतारबद्ध खड़े थे. कुछ लोगों के हाथों में प्लेकार्ड्स भी थे. एक प्लेकार्ड पर हिंदी में लिखा था, ‘स्वागत राष्ट्रपति जी’ जबकि एक दूसरे पर लिखा था, ‘विदाई राष्ट्रपति जी’. 

  इंटरलाकेन से महज पांच-छह किमी. दूर आइजेल्टवॉल्ड में भी दुनिया भर और खासतौर से भारतीय पर्यटकों और बालीवुड को आकर्षित करने योग्य सब कुछ है. लेकिन गांव के लोगों की शिकायत है कि अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक और फिल्मकार इंटरलाकेन में ही अटक जाते हैं और वहीं से वापस लौट जाते हैं. आइजेल्टवॉल्ड में डा. कलाम और स्विस राष्ट्रपति श्मिड सड़क पर तकरीबन आधा किमी पैदल चलते और उनके स्वागत में कतारबद्ध खड़े ग्रामीणों-बच्चों से मिलते हुए झील के किनारे पहुंचे. वहां बच्चों ने डा. कलाम के स्वागत में गीत भी गाए. एक बच्ची के मुंह से ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ सुनकर डा. कलाम भी अभिभूत हो गए. यह बच्ची, जासमीन अपने हैदराबादी व्यवसाई माता-पिता और छोटी बहन खुशबू के साथ चार दिन के लिए स्विट्जरलैंड की यात्रा पर आई थी. जब पता चला कि डा. कलाम आइजेल्टवाल्ड में आ रहे हैं तो वह भी अपने परिवार के साथ यहां उनसे मिलने आ गई थी. डा. कलाम ने उससे हाथ मिलाया और उसके नोट बुक में संदेश भी लिखा. डा. कलाम से मिलकर पूरा परिवार धन्य था. 

  जासमीन के पिता जयंत कुमार भंसाली ने बताया कि डा. कलाम से मिलने की उसकी जिद के कारण ही उन्होंने स्विट्जरलैंड में अपना प्रवास चार दिन और बढ़ा लिया. भंसाली ने बताया कि धरती पर स्वर्ग कहे जानेवाला स्विट्जरलैंड और इंटरलॉकेन दुनिया भर के पर्यटकों और खासतौर से भारतीय पर्यटकों का सबसे पसंदीदा पर्यटन केंद्र है. हर साल यहां भारत से भी तकरीबन 70-80 हजार पर्यटक आते हैं. हर जगह भारतीय व्यंजन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उन्होंने बताया कि खाने-पीने को लेकर तो कुछ परेशानी जरूर होती है लेकिन जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे लोग मन पसंद व्यंजन तैयार करने के लिए अपने साथ ‘महाराज’ यानी रसोइया भी लेकर चलते हैं. उन्होंने बताया कि छह-सात लोग साथ हों तो होटल में महंगे कमरे लेने के बजाय पांच-छह दिन के लिए किराए पर एपार्टमेंट लेना फायदेमंद होता है. वहां अपने पसंद का भोजन तैयार किया जा सकता है. 

स्विस प्रेसीडेंट श्मिड की पीठ बन गई 'टेबल'


   जासमीन की नोट बुक में संदेश लिखने से पहले डा. कलाम ने इधर उधर देखा. और किसी ने समझा हो पता हीं, लेकिन स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति श्मिड समझ गये. डा. कलाम को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए वह वहां पीठ के बल झुक गए. यह एक अनहोनी जैसी बात थी , लेकिन डा. कलाम ने मुस्कराते हुए उनकी पीठ पर नोट बुक रख कर अपना संदेश लिखा. ऐसा होते देख श्मिड भी मुस्कराए बिना नहीं रह सके. जासमीन की नोट बुक पर संदेश लिखते समय एक बुजुर्ग महिला ने डा. कलाम के सामने एक फोटो कार्ड बढ़ाकर उस पर उनसे अपना हस्ताक्षर करने को कहा. डा. कलाम के पूछने पर महिला ने बताया कि तस्वीर उनकी पुत्री और दामाद की है, जो भारत में चंडीगढ़ में रहते हैं.

  आइजेल्टवाल्ड गांव में टहलते समय डा. कलाम की निगाह स्थानीय वाद्यतंत्र ‘आल्पहार्न’ बजा रहे लोगों पर पड़ी.
उन्होंने उनके पास जाकर उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई और आल्पहार्न में फूंक मारकर उसे बजाया भी. डा. कलाम ने वहां बच्चों के बीच दिल्ली से लाए उपहार भी बांटे. डा. कलाम के पास स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति श्मिड के लिए भी अलग से एक विशेष उपहार था जिसे वह भारत से अपने साथ लाए थे. उनके कहने पर इसरो के चेयरमैन जी माधवन नायर ने इसरो के उपग्रह, कार्टोसेट-1 से आल्प्स पर्वतमालाओं की थ्री डाइमेंसनल तस्वीरें उतरवाई थीं. ट्रांसमिशन के जरिए आई इन तस्वीरों का एक सेट डा. कलाम ने श्मिड को सौंपा तो वह मुस्कराए और आत्मीय धन्यवाद कहे बिना नहीं रह सके.


ब्रींज झील में नौकायन


  ब्रींज झील में क्रूज पर नौकायन करते समय साथ चल रहे छायाकार दोनों राष्ट्राध्यक्षों की तस्वीरें ले रहे थे. डा. कलाम से नहीं रहा गया. उन्होंने एक कैमरामैन से उसका कैमरा लेकर कहा, ‘जरा मैं भी हाथ आजमां लूं!’
स्विस प्रेसीडेंट श्मिड की तस्वीर उतारते डा. कलाम
उन्होंने स्विस राष्ट्रपति श्मिड की तस्वीरें लीं. नौकायन के दौरान पूरे समय हम पत्रकार एवं कुछ अन्य लोग भी नयनाभिराम झील और बर्फ से ढकी आल्प्स की खूबसूरत पहाड़ियों को देखते-निहारते और प्रकृति प्रदत्त सौंदर्य का लुत्फ उठाते रहे लेकिन डा. कलाम अपने समवर्ती स्विस राष्ट्रपति श्मिड के साथ स्विट्जरलैंड की आपदा प्रबंधन एजेंसी के उप निदेशक टोनी फ्रिश द्वारा आपदा प्रबंधन की नई तकनीक पर दिए जा रहे ‘पावर प्रेजेंटेशन’ में खोए रहे. डा. कलाम ने श्मिड से कहा कि भारत में भी इस तकनीक का लाभ उठाया जा सकता है. श्मिड ने सिर हिलाकर जवाब दिया था, क्यों नहीं.
ब्रींज झील में नौकायन में श्मिड के साथ डा. कलाम

अपनी विशेषज्ञता का लाभ प्रदान करते हुए स्विट्जरलैंड भारत में आपदा प्रबंधन के काम में मदद करेगा. गौरतलब है कि गुजरात में जनवरी 2001 के अंतिम सप्ताह में भयावह भूकंप के समय आपदा प्रबंधन में स्विट्जरलैंड की विशेषज्ञ टीमों ने महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय योगदान किया था. शाम को डा. कलाम राजधानी बर्न में स्थित प्रमुख कैथेड्रल में भी गए.

 लेकिन स्विट्जरलैंड ने डा. कलाम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन के मामले में किसी तरह का ठोस आश्वासन नहीं दिया. स्विस राष्ट्रपति श्मिड और डा. कलाम के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद इस बारे में पूछा गया तो श्मिड ने बड़े ही नपे तुले जवाब में इस मामले में अपने देश की तटस्थ नीति का जिक्र करते हुए कहा कि उनका देश भी मानता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए. लेकिन इससे पहले इस विस्तार से सम्बंधित कुछ औपचारिकताएं भी तय की जानी चाहिए. श्मिड ने कहा कि सुरक्षा परिषद के विस्तार से सम्बंधित प्रक्रिया और औपचारिकताओं के तय होने से पहले उनके देश के लिए यह सवाल विशेष मायने नहीं रखता कि किस देश को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए और किसे नहीं.


नोटः आपको पता है कि अमेरिका की खोज सबसे पहले किसने की थी! सहज उत्तर होगा, क्रिस्टोफर कोलंबस ने. लेकिन एक बहुत छोटे, तकरीबन न लाख की आबादी वाले देश आइसलैंड के लोग इसका प्रतिवाद करते हैं. क्यों ! अगली कड़ी यानी पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ दूसरे चरण के विदेश भ्रमण के अगले पड़ाव आइसलैंड की यात्रा के संस्मरण साझा करते हुए इसका भी उत्तर देंगे. आइसलैंड में छह महीने दिन और छह महीने रात होती है ! नाम आइसलैंड है लेकिन वहां धधकते ज्वालामुखी भी दिखते हैं. उनका दावा दुनिया का प्राचीनतम लोकतंत्र होने का भी है. और भी बहुत कुछ आपको देखने-पढ़ने को मिलेगा हमारे ब्लॉग jaishankargupt.blogspot.com पर चल रहे हमारे विदेश यात्राओं के संस्मरण में. जो लोग पीछे की कड़ियां नहीं देख सके हैं और देखना पढ़ना चाहते हैं, इस ब्लॉग पर जाकर देख पढ़ सकते हैं. इस पर आपको हमारे और भी बहुत सारे नये पुराने लेख देखने पढ़ने को मिल सकते हैं.