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Saturday, 3 October 2020

In Iceland (Land of Midnight Sun) With Dr. Kalam (डा. कलाम के साथ आइसलैंड में-दूसरी किश्त).

डा. कलाम के साथ विदेश भ्रमण (8)

आइसलैंड में डा.कलाम को मिला 

इडली-बड़ा सांभर

जयशंकर गुप्त

  30 मई को दोपहर का भोजन हम लोगों ने डा. कलाम के साथ रेक्याविक में भारतीय व्यंजनों के लिए मशहूर रेस्तरां 'आस्तुर इंडियाफ्लेगी’ में किया. इसकी मालकिन, बेंगलुरु की मूल निवासी चंद्रिका गुन्नर्सन ने डॉक्टर कलाम के लिए खांटी दक्षिण भारतीय-शाकाहारी भोजन (इडली, सांभर बड़ा और डोसे) का इंतजाम किया था. उनके रेस्तरां में बाकी लोगों के लिए भारतीय पद्धति और मसालों से बने उनकी पसंद के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजन भी उपलब्ध थे. चंद्रिका एक दशक पहले एक आइसलैंडिक गुनी गुन्नार के साथ शादी कर लेने के बाद यहां आई और यहीं की होकर रह गईं. गुन्नार से उनकी मुलाकात अमेरिका के एटलांटा, जॉर्जिया में पढ़ाई के दौरान हुई थी. उनके रेक्याविक पहुंचने से पहले वहां प्रामाणिक एशियाई-भारतीय भोजन उपलब्ध नहीं होता था. उन्होंने एशियाई-भारतीय मसालों और पद्धति से भारतीय रसोइयों द्वारा तैयार भोजन का ‘आस्तुर भारतीय रेस्तरां’ खोला जो बहुत जल्दी ही न सिर्फ भारतीयों बल्कि अन्य विदेशी पर्यटकों और आइसलैंड के लोगों का भी पसंदीदा रेस्तरां बन गया. चंद्रिका ने बताया कि उन्होंने नार्वे में भारत के राजदूत श्री सचदेव की मेजबानी में दिए जानेवाले रात्रिभोज में भी डा. कलाम के लिए खास तरह के दक्षिण भारतीय व्यंजनों- मेदु बड़ा, इडली, बड़ा, सांभर, दही भात और नारियल चटनी को शामिल किया है. पता चला कि आइसलैंड में कुछेक दर्जन भारतीय भी रहते हैं.
समुद्र किनारे लेखक (सबसे बाएं), केवी प्रसाद, खालिद अंसारी, कुमार राकेश
नीरज वाजपेयी और विशेश्वर भट्ट
दोपहर के भोजन के बाद कुछ देर के लिए हम लोग तफरीही अंदाज में समुद्र किनारे भी गये.

रेक्याविक में भारतीय सांस्कृतिक संध्या


  30 मई की शाम रेक्याविक के पास ही बेस्सताओएर स्थित राष्ट्रपति भवन में रात के खाने से पहले, डा. कलाम और आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन के सम्मान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के तत्वावधान में भारतीय शास्त्रीय नृत्य-संगीत संध्या आयोजित की गई. नृत्य संगीत के कलाकार दिल्ली से ही आए थे. भारतीय शास्त्री संगीत के प्रसिद्ध कलाकार, मोहन वीणा के जनक पंडित विश्व मोहन भट्ट के सुपुत्र सलिल विष्णु भट्ट ने मोहन वीणा पर राग बागेश्वरी की प्रस्तुति से भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ ही आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन और उनकी युवा पत्नी डोरिट मुस्येफ तथा स्थानीय लोगों की भी करतल ध्वनियां बंटोरी. तबले पर उनका साथ राम कुमार मिश्रा जी ने दिया और तानपुरे पर प्रीति भट्ट ने संगत की. वहीं पता चला कि डा. कलाम खुद भी वीणा बजाते हैं. इसी संगीत संध्या में शर्मिष्ठा मुखर्जी और उनकी टीम ने शिव अर्चना, छंदो ध्वनि, रिद्म एवं ध्वनि और महफिले तरन्नुम पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुत किया. उनके मनोहारी नृत्य ने लोगों को चमत्कृत सा कर दिया था. कई आइसलैंडिक कहते सुने गये कि भारतीय नृत्य और संगीत के बारे में सुना बहुत था, देखा पहली बार. गजब का है. हमने भी अपने पूर्व राष्ट्रपति, तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी की सुपुत्री शर्मिष्ठा का शानदार कत्थक नृत्य पहली बार ही देखा था.

राष्ट्रपति भवन में राजकीय रात्रिभोज और सहज-अनौपचारिक ग्रिम्सन परिवार

   
राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन द्वारा आयोजित राजकीय भोज के अवसर पर डॉ. कलाम ने अपने भाषण में कहा, "इस महान और मित्र देश में आना मेरे लिए सम्मान व प्रसन्नता की बात है. कल हमारे रेक्याविक आगमन पर आपने मेरे और मेरे शिष्टमंडल का जो हार्दिक स्वागत, सत्कार किया, उसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. आज ऐसे शानदार राजकीय भोज की मेजबानी करके आप आतिथ्य सत्कार की हवामाल सहश्राब्दि के प्राचीन उपदेश को भूले नहीं हैं,


"अतिथि के घुटने हैं, ठंड से सुन्न,

उन्हें जरूरत है, गरमाइश की.

पर्वतों से गुजर कर, आया है जो शख्स

उसे जरूरत है भोजन की और नए कपड़ों की." 


मैं बहुत पहले से आइसलैंड और इसकी कर्मठ जनता के प्रति आकर्षित रहा हूं, इसलिए भी यहां आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है. ऐतिहासिक दृष्टि से, आप के महान वाइकिंग पूर्वजों ने मानव जाति की अब तक की सबसे कठोर प्राकृतिक विपत्तियों का सफलतापूर्वक सामना किया. उनके अदम्य साहस ने ऐसी बौद्धिक सभ्यता की रचना की जो अपनी कठोरता और खोजी प्रवृत्ति के लिए जानी जाती है. सहस्राब्दि पूर्व रची गई हवामाल और अन्य एडायक कविताएं और विख्यात गाथाएं मानव जाति के लिए आज भी प्रासंगिक हैं. इसके बाद आपने विदेशी राजनीतिक व सामाजिक-आर्थिक प्रभुत्व के खिलाफ एक लंबा संघर्ष किया. हैलेडॉर लैक्सनेस ने अपनी साहित्यिक कृतियों में इस संघर्ष का इतना सुंदर चित्रण किया कि इसके लिए 1955 में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था. 1944 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद आइसलैंडवासी उसी दृढ़ता, साहस और अन्वेषण के साथ राष्ट्र निर्माण में लग गए जिसके लिए उनके पूर्वज विख्यात थे. वर्तमान में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आप की उपलब्धियों में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत से लेकर जीनोम मानचित्रण के विविध क्षेत्र शामिल हैं.
आइसलैंड के उल्लेखनीय इतिहास की हमारी इतिहास यात्रा के साथ काफी समानता है जबकि संदर्भ अलग-अलग हैं. उदाहरण के लिए हमारी भी समुद्री यात्रा की ऐतिहासिक परंपरा रही है. भारतीयों ने भी विदेशी शासन के खिलाफ धैर्य पूर्ण संघर्ष किया और 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की. हम भी अपने देश के उत्थान में लगे हैं और आज हमारा देश दुनिया का विशालतम लोकतंत्र और चौथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, दवाई निर्माण, परमाणु और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की शानदार सफलताओं के बारे में सभी जानते हैं.
राष्ट्रपति महोदय, सन 2002 में भारत की आपकी ऐतिहासिक राजकीय यात्रा हमारे द्विपक्षीय इतिहास में एक निर्णायक घटना रही है. इस यात्रा के बाद से आइसलैंड द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को दिए जा रहे प्रोत्साहन की हम सराहना करते हैं. मेरी सरकार भी आपसी लाभ के लिए संबंध बढ़ाने के प्रति आपकी तरह प्रतिबद्ध है. हमारा विश्वास है कि आइसलैंड की मेरी यह यात्रा स्पष्टता और परस्पर जानकारी को प्रोत्साहित करके हमारे संबंधों को और गति प्रदान करेगी. इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय सिद्धांतों और ढांचों से खासकर आर्थिक व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहकार्य सुगम होगा. हमारे द्विपक्षीय व्यापार को आपसी तुलनात्मक लाभों विशेषकर मत्स्यिकी, वस्त्र निर्माण, खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने से फायदे हो सकते हैं. पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए जनसंपर्क को बढ़ावा देने की पर्याप्त संभावनाएं हैं.
भारत और आइसलैंड एक सहिष्णु सामाजिक वातावरण में बहुलतावादी लोकतंत्र, मानव अधिकार और स्वतंत्रता जैसे समान मूल्य रखते हैं. दोनों देश संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के प्रति वचनबद्ध हैं. हमारा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र के ढांचे को सामाजिक वास्तविकताओं के और अनुकूल तथा अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने के लिए इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को दिए जा रहे सैद्धांतिक व दृढ़ समर्थन के लिए आइसलैंड की बेहद सराहना करते हैं.”

  ससे पहले राष्ट्रपति भवन में ही हुई प्रतिनिधिमंडस स्तर की बातचीत के बाद डा. कलाम और श्री ग्रिम्सन ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि आइसलैंड संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत समेत चार देशों-जर्मनी, जापान और ब्राजील- (ग्रुप 4) के मसौदा प्रस्ताव का सह प्रायोजक बनेगा. इसके लिए डा. कलाम ने आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन का शुक्रिया अदा किया. दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने बताया कि दोनों देश भूकंप की भविष्यवाणी, भूगर्भीय परिवर्तनों के अध्ययन, भू तापीय ऊर्जा उत्पादन के अलावा फार्मास्युटिकल एवं मत्स्यिकी उद्योगों के क्षेत्र में आपसी सहयोग और साझेदारी करेंगे. श्री ग्रिम्सन ने आइसलैंड में समुद्र से समृद्धि हासिल करने की कथा बताते हुए कहा कि उनका देश भारत को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की प्रौद्योगिकी के बारे में सहयोग करेगा. भारत ने अपने उपग्रह, कार्टोसेट-1 के जरिए स्विट्जरलैंड की आल्प्स पर्वत श्रेणियों की तरह ही आइसलैंड की तस्वीरें भी उतारने और उन्हें आइसलैंड को उपलब्ध कराने पर हामी भरी है. भारत आइसलैंड मैत्री संघ के अध्यक्ष भी रहे श्री ग्रिम्सन ने कहा कि डा. कलाम सिर्फ राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक बेहतर इन्सान भी हैं. उन्होंने दोनों देशों की तुलना दुनिया के सबसे बड़े और टिकाऊ (भारत) तथा सबसे पुराने लेकिन सबसे छोटे लोकतंत्र (आइसलैंड) से करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भारत अपनी नई क्षमताओं के साथ विश्व क्षितिज पर नये रूप में उभर कर आया है. इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में डा. कलाम ने उन्हें कार्टोसेट-1 से ली गई आल्प्स की तस्वीरें दिखाईं. ये तस्वीरें इतनी साफ और स्पष्ट हैं कि कंप्यूटर के सहारे बैठे बैठे भी आल्प्स की सैर की जा सकती है.

  
भारतीय मीडिया से मुखातिब आइसलैंड के राष्ट्रपति ग्रिम्सन उनकी पत्नी डोरिट मुस्येफ के साथ बाएं से (खड़े) राजेश सिन्हां, राहुल छाबड़ा,खालिद अंसारी, आर कृष्णमूूर्ति, सुमेर कौल, केवी प्रसाद, रितु सरीन, मिलिंद देवड़ा
ग्रिम्सन के पास बैठे कुमार राकेश, नीरज वाजपेयी, जयशंकर गुप्त और अल्पना पंत शर्मा
 
  
दो मंजिले राष्ट्रपति भवन में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कोई ताम झाम नहीं दिखा. भारत से आए पत्रकारों के साथ बातचीत में श्री ग्रिम्सन बहुत ही सहज और अनौपचारिक लगे. वह अपनी युवा (दूसरी) पत्नी डोरिट मुस्येफ के साथ पत्रकारों के बीच आकर एक ही सोफे पर बैठ गये.
आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन के साथ
बातचीत में शामिल लेखक, राजेश सिन्हां रितू सरीन और 
केवी प्रसाद पीछे खड़ी हैं डोरिट मोस्येफ
उनके साथ हमारा परिचय मुंबई से कांग्रेस के सांसद मिलिंद देवड़ा ने कराया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद रहे मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा के न सिर्फ गांधी परिवार बल्कि आइसलैंड के राष्ट्रपति के परिवार के साथ भी बहुत ही करीबी संबंध रहे. मुरली देवड़ा ने ही 2001 में सोनिया गांधी की आइसलैंड यात्रा करवाई थी. उनके साथ राहुल गांधी भी वहां गए थे. मिलिंद के प्रति ग्रिम्सन परिवार का स्नेह साफ दिखता था. परिचय के दौरान ही पता चला कि हमारे, हिन्दुस्तान टाइम्स की मालकिन शोभना भरतिया के साथ भी ग्रिम्सन परिवार और खासतौर से डोरिट मुस्येफ के करीबी और अंतरंग रिश्ते हैं. मेरे हिन्दुस्तान टाइम्स से जुड़ा होने का पता चलते ही डोरिट ने कहा, “ओह, तो आप हिन्दुस्तान (टाइम्स) से हैं. वहां हमारी एक दोस्त भी हैं, शोवना (भरतिया). हम दोनों जल्दी ही लंदऩ में दोपहर के भोजन पर मिलनेवाले हैं.”
फिर उन्होंने मेरे हाथ से नोटबुक लेकर उस पर कुछ लिखा और कहा इसे आप उसे दे देना. यह बताने पर कि शोभना भरतिया हमारे अखबार की एडिटोरियल डाइरेक्टर, मालकिन हैं, श्रीमती मुस्येफ ने कहा, ‘हां, जानती हूं. लेकिन हमारी तो वह मित्र हैं.’ उनहोंने मुझे अपने पति, राष्ट्रपति ग्रिम्सन से अलग से मिलवाया. इसके बाद तो हम लोग बहुत अनौपचारिक हो गये. श्री ग्रिम्सन ने बड़े ही अनौपचारिक और बेतकल्लुफ अंदाज में बातें करनी शुरू कर दी. वह देर तक आइसलैंड की प्रगति और विकास, भारत के साथ अपने संबंधों, अपनी भारत की यात्राओं, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ अपनी मुलाकातों और संबंधों के बारे में बतियाते रहे. उन्होंने बताया कि राजीव गांधी ऐसे विजनरी और संभावनाशील नेता थे जिन्हें यूरोप और अमेरिका भी बड़े गौर से सुनता था लेकिन वह असमय आतंकवाद का शिकार बन गए थे.


  31 मई को मीडिया के लोगों के लिए दोपहर का भोजन आइसलैंड सरकार के आतिथ्य में रेक्जाविक के एक रेस्तरां में कराया गया. साथ में हमारे विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा और उनके सहयोगी भी थे. किसी एक साथी के पूछने पर कि ड्रिंक का इंतजाम नहीं है क्या! रेस्तरां के मैनेजर ने बताया कि हमारे पास ड्रिंक की व्यवस्था तो है लेकिन ड्रिंक आपके मीनू में शामिल नहीं है. आइसलैंड सरकार की तरफ से मेजबानी में लगी एक महिला अधिकारी ने पूछने पर बड़े ही संकोची भाव से कहा, माफ कीजिए हम इस खर्च का वहन नहीं कर पाएंगे. इस पर मुस्कराते हुए राहुल ने कहा कि कोई बात नहीं है, हम कर लेंगे. आप हमारे साथ ड्रिंक ले तो सकती हैं.

  लंच के बाद उसी दिन दोपहर में आइसलैंड के प्रधानमंत्री हेल्लडोर एग्रिम्सन के साथ डा. कलाम की द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान पता चला कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आइसलैंड में भी बहुत लोकप्रिय हैं. 
राष्ट्रपति डा. कलाम के साथ आइसलैंड के प्रधानमंत्री
हेल्डोर एग्रिम्सन. पीछे खड़े हैं जगदीश टाइटलर और
सांसद एन पी दुर्गा तथा भारत और आइसलैंड के
विदेश मंत्रालय के अधिकारी

आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ यहां तकरीबन सभी आइसलैंडवासियों ने देखी है. इस पर डा. कलाम ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री एग्रिम्सन उचित स्थान उपलब्ध करा सकें तो वह भारत से महात्मा गांधी की बेहतरीन प्रतिमा यहां भिजवा सकते हैं. इस पर एग्रिम्सन ने हामी में सिर हिलाया. उन्होंने कहा कि आइसलैंड में बालीवुड की फिल्में अंग्रेजी में डब (रूपांतरित) करके दिखाई जा सकती हैं. भारतीय फिल्म उद्योग यहां अपनी फिल्मों की शूटिंग भी कर सकता है. सरकार उन्हें हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी.


  स अवसर पर दोनों देशों के बीच विमानन सेवाओं संबंधी दो समझौतों और विदेश विभाग के विचार विमर्श संबंधी समझौते किए गए समझौतों के सहमति पत्रों पर डॉ कलाम, जगदीश टाइटलर, प्रफुल्ल पटेल एवं भारतीय शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों और आइसलैंड के प्रधानमंत्री एग्रिम्सन तथा वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए. हवाई सेवाओं से संबंधित दो समझौतों पर भारत की ओर से नार्वे में भारत के राजदूत महेश सचदेव (उस समय सचदेव ही आइसलैंड का राजनय भी देखते थे.) ने हस्ताक्षर किए. सहमति पत्र समेत इन दो समझौतों से नागरिक उड्डयन और लोगों का लोगों से संपर्क, पर्यटन, विमानों के लेनदेन तथा अन्य मुद्दों पर व्यापक रूप से सहयोग बढ़ने की उम्मीद जताई गई.

खाली पड़े अस्पताल!


  आइसलैंड की आधी से अधिक जनसंख्या राजधानी रेक्याविक में ही रहती है. कानून और व्यवस्था का आलम यह है कि चोरी-डकैती, मारपीट की घटनाएं नहीं के बराबर होती हैं. लोगों के घरों में ताले भी नहीं दिखते. पिछले साल (2004 में) यहां गफलत में किसी एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी तो पूरे देश में बवाल मच गया था. यहां राष्ट्रपति भवन में भी सुरक्षा का खास तामझाम नहीं था. साथ चल रहे ड्राइवर ने बताया कि राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित चर्च में वह अपनी पत्नी के साथ अक्सर बेरोकटोक आते-जाते हैं. यहां अधिकतर लोग लूथरन प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं. आइसलैंड में अपनी कोई स्थाई सेना नहीं है. नाटो का सदस्य होने के नाते बाह्य सुरक्षा की बहुत कुछ जिम्मेदारी नाटो या कहें अमेरिका पर होती है. केफ्लाविक हवाई अड्डे पर नाटो का एक एयर बेस भी है.

  स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य की जिम्मेदारी होने का असर आइसलैंड में बीमार पड़नेवालों की संख्या नगण्य होने और अस्पताल तकरीबन खाली पड़े रहने के रूप में हमें भी देखने को मिला. रेक्याविक प्रवास के दौरान एक दिन बाथरूम में फिसल जाने के कारण राष्ट्रपति डा. कलाम के प्रेस सचिव एस एम खान की बाईं बांह में फ्रैक्चर हो गया. उन्हें विदेश मंत्रालय के अधिकारी टेकी प्रसाद तकरीबन खाली पड़े अस्पताल में ले गए. वहां एक भी स्थानीय मरीज नहीं था लेकिन डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ ड्यूटी पर मुश्तैद थे. कुछ घंटों बाद किसी कैमरा मैन का ट्राईपोर्ट गिर जाने के कारण विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा के पैर पर गहरा जख्म हो गया. उन्हें भी उसी अस्पताल में ले जाया गया जहां श्री खान का पहले से ही इलाज चल रहा था. राहुल छाबड़ा को अस्पताल में देखकर एक नर्स ने चूहलबाजी के अंदाज में कहा, ‘आइए, स्वागत है. आप लोगों को लगा कि हम यहां खाली बैठे रहते हैं, सो एक और मरीज ले आए ताकि हमें भी कुछ काम मिल जाए.’ आइसलैंड में स्त्रियों की औसत उम्र 86 वर्ष तथा पुरुषों की 83 वर्ष बताई गई.

आधे-तिहाई बच्चों के परिवार 

  इसलैंड में कानून व्यवस्था दुरुस्त है, नागरिकों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा भी है लेकिन उनकी सामाजिक व्यवस्था भारतीय मानस के मुताबिक बहुत अजीब और जटिल है. आइसलैंड के आधुनिक एवं खुले समाज में बहुत सारी स्त्रियां शादी से पहले भी मां बन चुकी होती हैं. बहुत सारे लोगों के आधे-तिहाई बच्चे, अलग अलग मां-बाप से होते हैं. बातचीत में घुल मिल सा गया होटल रेडिसन ब्ल्यू सागा में स्टुअर्ट के काम में लगे कालेज छात्र गर्दर स्कार्वासन ने यह पूछने पर कि उसके परिवार में और कौन कौन हैं! उसने बताया कि उसके माता-पिता के साथ ही उसके ढाई भाई हैं. यह कैसे ! मेरे पूछने पर उसने समझाया कि वह अपनी मां और पिता का पुत्र है जो इस समय उनके साथ रहता है. उसकी मां का एक और बेटा उनके पूर्व पति से है. उसके पिता के भी दो और बेटे उनकी पूर्व पत्नियों से हैं. आइसलैंड में तलाक के मामले बहुत अधिक, तकरीबन 50 फीसदी हैं. इसे यहां लोग सामाजिक बुराई नहीं मानते. हमारे साथ चल रहा ड्राइवर बताता है कि अधिकतर लोग मछुआरे हैं जो मछली पकड़ने के लिए गहरे उफनते प्रशांत महासागर में जाकर मछली पकड़ते हैं. कई बार उनमें से कुछ लोग लौटकर आते भी नहीं. इसलिए भी यहां की समाज व्यवस्था में उलट फेर होते रहते हैं. लोग बीवियां और शौहर बदलते रहते हैं.

  र्दर स्कार्वासन के अनुसार आइसलैंड में हर कोई काम यानी जीविकोपार्जन करता है. यहां तक कि स्कूल कालेजों के छात्र-छात्राएं भी खाली समय में अतिरिक्त काम करके अच्छी कमाई कर लेते हैं. गर्मियों यानी पर्यटन के मौसम में जब पर्यटकों की आमद बढ़ती है तो ऐसे तमाम लड़के-लड़कियों को होटलों, रेस्तराओं में काम मिल जाता है. ड्राइवर ने बताया कि वहां घंटों के काम के हिसाब से भुगतान मिलता है. एक घंटे काम के बदले एक हजार आइसलैंडिक क्रोन यानी 17-18 डालर मिल जाते हैं. अगर पति पत्नी दोनों दिन में आठ घंटे काम करें तो महीने में औसतन 7-8 हजार डालर कमा लेते हैं. इसमें से आधे से थोड़ी ही कम रकम विभिन्न करों के रूप में सरकार के पास चली जाती है. लेकिन लोगों को इसका गम नहीं क्योंकि मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, एवं एक हद तक रोजगार की गारंटी भी उन्हें सरकार से ही मिलती है. सरकारी मदद उस समय बड़े काम की होती है जब सर्दियों और बर्फबारी के महीनों में रोजगार नगण्य से हो जाते हैं.

  आइसलैंड और रेक्याविक में लोगों की आमदनी ज्यादा होने के साथ ही महंगाई भी उसी अनुपात में दिखी. समुद्र किनारे टहलते समय एक अमेरिकी पर्यटक विक्टर गाबॉय ने बताया कि उनका न्यूयार्क शहर बहुत महंगा है लेकिन रेक्याविक तो उससे भी कहीं बहुत ज्यादा महंगा है. खासतौर से खान-पान और खासतौर से करों का बोझ ज्यादा होने के कारण शराब यहां बहुत महंगी है. समझदार लोग (पर्यटक) हवाई अड्डे से ही ड्यूटी फ्री दुकानों से मनपसंद वाइन, शराब, बियर आदि का कोटा साथ लाते हैं. महंगाई की एक झलक हमें रेक्याविक के एक बड़े जनरल स्टोर में एक खूबसूरत कढ़ाईवाले गर्म स्वेटर की कीमत पूछने पर भी देखने को मिली. स्वेटर की कीमत थी 14 हजार क्रोन यानी 215 अमेरिकी डालर यानी तकरीबन 12 हजार रुपये. इसी तरह से एक शापिंग मॉल में चमड़े की एक जैकेट की कीमत 25 से 28 हजार रुपये बताई गई (यह कीमतें 2005 के मई महीने की हैं). वहां मीडिया को लेकर भी अजीब बातें पता चलीं. बताया गया कि सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रसारित अखबार वहां मुफ्त बंटता है. तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के अपने अखबार होते हैं जो अन्य तरह के सभी समाचारों के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर अपने दल के रुख से भी लोगों को अवगत कराते हैं. होटल में स्टुअर्ट गर्दर स्कार्वासन के अनुसार स्थानीय लोगों का सबसे लोकप्रिय टीवी चैनल ‘नेकेड न्यूज’ है जो न सिर्फ आइसलैंड में बल्कि अन्य स्कैंडेवियन देशों में भी प्रमुखता से देखा जाता है. उसमें सभी विषयों के राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय समाचार अन्य टीवी चैनलों की तरह ही दिखाए जाते हैं लेकिन एक बड़ा फर्क है कि ‘नेकेड न्यूज’ में हर न्यूज ब्रेक के बाद एंकर लेडी अपना एक कपड़ा उतार देती है और समाचार समाप्त होने तक वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो जाती है. इसे आप हमारे यहां टीवी चैनलों के बीच टीआरपी होड़ के साथ भी जोड़कर देख सकते हैं. थोड़े विषयांतर के साथ बता दूं कि 2008 में जब दुनिया भर में वैश्विक मंदी आई थी, एक देश के रूप में सबसे पहले आइसलैंड ही दिवालिया हुआ था. हालांकि बाद में वह बहुत जल्दी ही उस आर्थिक मंदी की चपेट से उबर भी गया था.

  31 मई, मंगलवार को हम लोग आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन और डा. कलाम के साथ रेक्याविक के पास नेस्जवेल्लिर जियोथर्मल पावर प्लांट (भू तापीय विद्युत संयंत्र) देखने गये.

नेस्जेवेल्लिर में जियोथर्मल पावर स्टेशन के पास डा. कलाम
के साथ आइसलैंड के राष्ट्रपति ग्रिम्सन

यह दुनिया का सबसे सबसे परिष्कृत जियोथर्मल हीटिंग सिस्टम बताया जाता है. आइसलैंड में इस तरह के पांच और भू तापीय विद्युत संयंत्र हैं जिनसे आइसलैंड में विद्युत आपूर्ति के साथ ही सर्दियों में होटलों, कार्यालयों और घरों को गर्म रखने और गर्म पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक भाप से 750 मेगावाट बिजली और 60 मिलियन क्यूबिक मीटर गर्म पानी पैदा करने वाली एक जल वितरण प्रणाली के प्राकृतिक संसाधन के उपयोग ने आइसलैंड में जीवाश्म ईंधन पर शहरों की निर्भरता को बड़े पैमाने पर कम कर दिया है. शायद इसलिए भी रेक्याविक दुनिया के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक है. डा. कलाम ने नेजावेल्लिर में भू-तापीय ऊर्जा और हाइड्रोजन के उपयोग पर एक संगोष्ठी में भी भाग लिया. बाद में उन्होंने आइसलैंड विश्वविद्यालय में स्थित ‘नोर्डिक वोल्कानोलॉजिकल सेंटर ऑफ अर्थ साइंस में भूकंप और समुद्री तूफान से जुड़े पूर्वानुमान और भविष्यवाणी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों से उनकी प्रयोगशालाओं में साथ बैठकर बातें की और इस बात की संभावनाएं तलाशने में लगे रहे कि इन परीक्षणों और अनुभवों का भारत के लिए क्या लाभ हो सकता है.
नेस्जेवेल्लिर में जियो थर्मल पावर स्टेशन के पास मेरे
बाएं कुमार राकेश और दाहिनी ओर विदेश मंत्रालय
के वरिष्ठ लेकिन मित्रवत अधिकारी राहुल छाबड़ा

डा. कलाम वहां हाईड्रोजन रिफ्यूएलिंग सेंटर भी गए और देखा समझा कि कैसे वहां बस गाड़ियां हाईड्रोजन गैस से चलती हैं. उन्होंने भारत में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर भी विचार किया.


  

 



भू-तापीय स्पा 'ब्ल्यू लगून' में डुबकी


हमने छात्र-युवा रहते एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, 'ब्ल्यू लगून'. पता चला कि आइसलैंड में एक अलग तरह का 'ब्ल्यू लगून' है. सहज उत्कंठा और अभिलाषा थी, इस 'ब्ल्यू लगून' को देखने की. डा. कलाम के साथ आइसलैंड प्रवास के आखिरी दिन हम, मीडिया के लोग अलग से दक्षिण-पश्चिमी आइसलैंड में रेक्याविक से 39 किमी और केफ्लाविक हवाई अड्डे से 20 किमी पहले ग्रिंडाविक के पास लावा क्षेत्र में थोर्बजोर्न पहाड़ के सामने स्थित एक भू-तापीय स्पा ‘द ब्ल्यू लगून’ में गये. इस मानव निर्मित कृत्रिम स्पा में पानी की आपूर्ति सवर्त्सेंगि भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र (स्टेशन) से की जाती है. ब्ल्यू लगून, आइसलैंड आनेवाले अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे सबसे बड़ा केंद्र कहा जाता है. कई बार तो लंबी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में आनेवाले पर्यटक ‘जेट लेग’ की समस्या दूर करने के लिए कहीं और जाने से पहले ब्ल्यू लगून में जमीन से निकलनेवाले गर्म पानी से बने पूल में डुबकी लगाकर तरोताजा होने को प्राथमिकता देते हैं.
     हम लोग एक जून की सुबह यूक्रेन की राजधानी कीव के लिए उड़ान भरने से पहले रास्ते में पड़नेवाले ब्ल्यू लगून में रुक गये थे. डा. कलाम के साथ बाकी लोग किसी और आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेकर सीधे हवाई अड्डा पहुंचनेवाले थे. ब्ल्यू लगून का अनुभव वाकई मजेदार और शरीर को तरोताजा करनेवाला था. दूधिया-नीले रंग के पानीवाले ब्ल्यू लगून में डुबकी लगाने से पहले हमसे वहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग बने स्नानागार में नहा लेने के लिए तथा लगून में नहाने के लिए आवश्यक ‘स्विमिंग कास्ट्यूम’ पहन लेने के निर्देश दिए गए. काफी महंगा सौदा था लेकिन हम तो उनके मेहमान थे. वे लोग चाहते थे कि हम उनके इस भू तापीय स्पा को यथोचित प्रचार देकर भारतीय पर्यटकों को यहां आने और खासतौर से बालीवुड को यहां फिल्मों की शूटिंग करने के लिए प्रेरित करें. वैसे, इसमें कुछ गलत भी नहीं था. आइसलैंड सरकार के प्रतिनिधि का कहना था कि ब्ल्यू लगून के अलावा भी यहां बहुत सारे आकर्षक जल प्रपात, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ठिकाने, समुद्र, पहाड़, ग्लेशियर, लावा फील्ड्स और झरने हैं जो बालीबुड को पसंद आ सकते हैं. इसके अलावा स्थानीय शासन-प्रशासन उन्हें शूटिंग से जुड़ी अन्य सुविधाएं भी प्रदान कर सकता है.

  ताया गया कि ब्ल्यू लगून का आइडिया 1976 में पास में ही स्वर्त्सेंगि भू तापीय बिजली संयंत्र के खुलने के कुछ समय बाद, उसके निकलनेवाले गर्म पानी के पूल या जलाशय के इस्तेमाल को ध्यान में रखकर बनाया गया. 1981 में, सोरायसिस (चर्म रोग) के एक रोगी ने संयंत्र से निकले जल में स्नान किया और ध्यान दिया कि पानी ने उसके सोरायसिस के लक्षणों को कम कर दिया. उसके बाद ही यह लगून प्रचलित और लोकप्रिय हो गया. आम लोगों के लिए भुगतान पर स्नान की सुविधा के साथ 1992 में ब्ल्यू लगून कंपनी की स्थापना हुई. 1990 के दशक में किए गए अध्ययनों ने पुष्टि की कि लगून का त्वचा रोग-सोरायसिस पर लाभकारी प्रभाव था. 1994 में यहां एक सोरायसिस क्लिनिक भी खोला गया. 1995 में ब्ल्यू लगून कंपनी ने सिलिका, सल्फर, शैवाल और नमक युक्त त्वचा उत्पादों की बिक्री भी शुरू कर दी. फिर तो पर्यटकों की आमद और उनकी आवश्यकताओं के मद्देनजर वहां रेस्तरां और बार भी खुल गया. कई तरह के पैकेज में कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाने लगीं. लगून में जमीन की सतह से तकरीबन 6000 फुट नीचे समुद्र से लगे जल श्रोतों से निकले गरम, खारे पानी में सिलिका, सल्फर, शैवाल की मात्रा भी होती है. सिलिका इस लगून या कहें झील के तल पर नरम सफेद मिट्टी बनाती है जिसे उसमें स्नान करने वाले अपने शरीर पर लेप करते हैं.
हम लोगों ने भी किया. लगून में स्नान और तैराकी क्षेत्र में पानी का तापमान औसतन 37-39 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए एक निजी चेंजिंग रूम भी उपलब्ध है. लगून में नहाकर लौटने के बाद एक बार फिर नहाना पड़ता है. बताया गया कि लगून में पानी हर दूसरे दिन बदला जाता है. बहरहाल, हम लोगों ने इस लगून में भरपूर मजे किए. निकलने का मन ही नहीं हो रहा था. उधर हवाई अड्डे पर अधिकारियों की सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं क्योंकि डा. कलाम वहां पहुंचने ही वाले थे और हम लोगों का कुछ पता नहीं था. लेकिन पास में ही स्थित हवाई अड्डे पर हम लोग समय रहते पहुंच गये. 
विमान में चढ़ते समय किसी ने टोका, ब्ल्यू लगून से आ रहे हैं! उस समय एएनआई से जुड़े रहे पत्रकार राजेश सिन्हां याद करते हैं, 'एयर होस्टेस ने कहा, एवरीबडी इज ग्लोइंग.' थोड़ी देर बाद हमारे राष्ट्रपति डा. कलाम के लिए एयर इंडिया के विशेष विमान ‘तंजौर’ ने यूक्रेन की राजधानी कीव के लिए उड़ान भरा. तकरीबन चार घंटे की उड़ान के बाद हम लोग कीव में थे.
  क्रमशः अगले सप्ताह कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे और पिछली सदी में दो तरह की क्रांतियों के गवाह बने यूक्रेन की राजधानी कीव में तीन दिनों के प्रवास से जुड़े रोचक संस्मरण. कीव डा. कलाम के साथ इस विदेश भ्रमण का आखिरी पड़ाव था. कीव से ही हम लोगों की नई दिल्ली के लिए वापसी हुई थी.

Sunday, 27 September 2020

In Iceland With Dr. APJ Abdul Kalam (डा. कलाम के साथ आइसलैंड में)

कलाम के साथ विदेश भ्रमण (8)


आधी रात के सूरज वाले देश आइसलैंड में


जयशंकर गुप्त


 मने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आइसलैंड जैसे अल्पज्ञात लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण देश आइसलैंड को देखने जानने का मौका कभी मिलेगा. साधन और सामर्थ्य को देखते हुए तो अपने तई इस देश की यात्रा कम से कम हमारे जैसे लोगों के लिए तो नामुमकिन ही कही जा सकती थी. लेकिन भारत रत्न, देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपी जे अब्दुल कलाम के सौजन्य से हमें आइसलैंड जाने, करीब से देखने समझने का अवसर भी मिल गया. स्विट्जरलैंड की यात्रा पूरी होने के बाद राष्ट्रपति डा. कलाम के साथ हमारा अगला पड़ाव उत्तर पश्चिमी यूरोप-उत्तरी अटलांटिक में ग्रीनलैंड, फरो द्वीप समूह और नार्वे के मध्य बसा आइसलैंड ही था, जहां साल के छह महीने अधिकतर समय दिन होता है और बाकी के छह महीने अधिकतर समय रात होती है. नाम ‘आइसलैंड’ से लगता है कि पानी और बर्फ से घिरा कोई बहुत ही ठंडा द्वीप होगा. लेकिन हम जिस आइसलैंड की बात कर रहे हैं, वहां समुद्र भी है और पहाड़ भी. बर्फ के ग्लेशियर हैं, झीलें, जमीन से निकलते गर्म पानी के फव्वारे और जल प्रपात हैं तो धधकते ज्वालामुखी और बुझे हुए ज्वालामुखी के लावा के मैदान भी. तापमान भी अन्य यूरोपीय देशों की तरह ही, सर्दियों में सर्द एवं बर्फीली हवाओं के साथ बहुत ठंडा और गर्मी के दिनों में खुशनुमा. 

  हमने बहुत सुन रखा था कि आइसलैंड सहित पांच-छह स्कैंडेवियन देशों में एक समय ऐसा भी होता है जब सूर्य वहां डूबता ही नहीं. आधी रात में भी वहां सूर्य अपनी चटख रोशनी के साथ प्रकाशमान रहता है. आधी रात के सूर्य को देखने की हमारी तमन्ना पूरी होने जा रही थी. 29 मई 2005 को आइसलैंड की राजधानी रेक्याविक पहुंचनेवाले डा. कलाम भारत के पहले राष्ट्रपति थे. इससे पहले किसी और भारतीय राष्ट्रपति ने शायद आइसलैंड आने की जरूरत नहीं समझी थी. डा. कलाम की इस यात्रा की पृष्ठभूमि इसी साल, 2005 के फरवरी महीने में आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलाफर रेग्नर ग्रिम्सन की भारत की यात्रा के दौरान तैयार हुई थी. ग्रिम्सन ने डा. कलाम को आइसलैंड आने का न्यौता दिया था जिसे उन्होंने सहजभाव से स्वीकार कर लिया था.
रेक्याविक में डा. कलाम का स्वागत, पीछे खड़े आइसलैंड के
राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन

  स्विट्जरलैंड से आइसलैंड की यात्रा के दौरान विमान में डा. कलाम ने हम लोगों को बता दिया था कि वह आबादी के लिहाज से बहुत छोटे लेकिन भारत की जरूरतों के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण देश आइसलैंड की यात्रा को लेकर बहुत आशान्वित हैं. वह यहां अपनी राजनीतिक मुलाकातों के साथ ही वैज्ञानिकों, खासतौर से भूकंप के पूर्वानुमान के बारे में शोधरत वैज्ञानिकों से मिलेंगे. यहां भूकंप के पूर्वानुमान लगाने, भूगर्भीय परिवर्तनों और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की आइसलैंड के लोगों की तकनीक और प्रसंस्करण के बारे में जानकारी हासिल करेंगे और सोचेंगे कि भारत को इसका लाभ कैसे मिल सकता है. उत्तरी ध्रुव के करीब समुद्र, बर्फ से ढके पहाड़ों, लंबे चौड़े हिमनदों-ग्लेशियरों-झीलों और धधकते ज्वालामुखी से घिरे आइसलैंड में भूकंप के झटके आते रहते हैं. यह भी एक कारण है कि यहां के वैज्ञानिकों को भूकंप एवं सुनामी की भविष्यवाणी के मामले में विशेषज्ञता हासिल है. उनके मकान भूकंप रोधी तकनीक से बने होते हैं. शायद इसलिए भी 17 जून और 21 जून 2000 को दक्षिणी आइसलैंड में आए तीव्र क्षमता (रिक्टर पैमाने पर 6.5) के भूकंप के बावजूद वहां कोई मरा नहीं था. डा. कलाम ने बताया कि भारत और आइसलैंड के द्विपक्षीय रिश्ते हमेशा से प्रगाढ़ और मैत्रीपूर्ण रहे हैं. 29 अक्तूबर से 3 नवंबर 2000 की यात्रा पर आइसलैंड के किसी राष्ट्राध्यक्ष के रूप में ग्रिमसन पहली बार भारत आए थे, तभी से दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय द्विपक्षीय संबंधों की औपचारिक शुरुआत हुई थी. उसके कुछ महीनों बाद जून 2001 के तीसरे सप्ताह में कांग्रेस की अध्यक्ष एवं तत्कालीन नेता विपक्ष सोनिया गांधी आइसलैंड गई थीं. आइसलैंड विभिन्न मसलों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का समर्थन करता है. इसी साल डा. कलाम से एक मुलाकात के दौरान आइसलैंड के राष्ट्रपति ग्रिमसन ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का पुरजोर समर्थन करने की बात कही थी.

  29 मई, रविवार को स्विट्जरलैंड के जिनेवा से आइसलैंड के केफ्लाविक स्थित ‘लीफर एरिक्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे’ तक का हवाई सफर तकरीबन चार घंटे में पूरा हुआ. रास्ते में विमान में दोपहर के भोजन के बाद डा. कलाम मीडिया के लोगों से मुखातिब हुए. रूस और स्विट्जरलैंड की अपनी यात्राओं के अनुभव और उपलब्ध्यिों पर बातचीत से पहले उन्होंने पत्रकारों का कुशलक्षेम जानने की गरज से पूछा, आप लोगों का ‘खाना-पीना’ कैसा चल रहा है. यह बताने पर कि एयर इंडिया के ‘महाराजा’ का आतिथ्य शानदार है, उन्होंने पूछ लिया, ‘ऐंड ह्वाट एबाउट अदरथिंग्स.’ यह सुन प्रायः सभी हंस पड़े. डा. कलाम ने फिर कहा, ‘मेरा मतलब ‘साफ्ट ड्रिंक्स’ आदि से था.’ डा. कलाम खुद तो खाने-पीने के मामले में विशुद्ध शाकाहारी हैं, लेकिन पत्रकार! उनकी पसंद का थोड़ा इल्म तो उन्हें भी था ही. एक बार स्विट्जरलैंड की संसद में जब दोनों राष्ट्राध्यक्ष (डा. कलाम एवं श्मिड) मेज पर एक साथ बैठे तो वहां ‘ड्रिंक’ सर्व हुआ था. श्मिड ने तो वाईन का प्याला हाथ में लिया लेकिन डा. कलाम ने पानी का गिलास हाथ में लेते हुए कहा कि अपना काम तो इस (पानी) से ही चल जाता है.

  हरहाल, हम लोग ‘लीफर एरिक्सन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे’ पर वहां के स्थानीय समय के हिसाब से तीन बजे (भारतीय समय के मुताबिक रात के 8.30 बजे) पहुंचे. बहुत छोटा और कम आबादीवाला देश होने के बावजूद आइसलैंड में चार हवाईअड्डे हैं. दूर दराज के इलाकों में आवागमन या तो नौकाओं से या फिर विमानों से ही संभव है. केफ्लाविक स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को आइसलैंड के लोगों के दावे के अनुसार सबसे पहले अमेरिका की खोज करनेवाले लीफर एरिक्सन का नाम दिया गया है. दूसरा बड़ा घरेलू विमानन का हवाई अड्डा रेक्याविक में है. इसके अलावा दो घरेलू हवाई अड्डे एगिलस्सतोएर तथा अकुरेरि में हैं. आइसलैंड में भारत के साथ सप्ताह में कम से कम एक सीधी उड़ान शुरू करने का विमानन समझौता होनेवाला था, शायद इसीलिए तत्कालीन नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल भी विशेष रूप से रेक्याविक आ गये थे.

  जिस समय हम लोग आइसलैंड पहुंचे, बताया गया कि दिन और रात के 24 घंटों में वहां उस समय अधिकतर समय दिन ही रहता है. 10 मई से जुलाई के अंत तक सूर्य वहां आधी रात के बाद ही डूबता और एक दो घंटे बाद ही अपनी पूर्ण ऊष्मा और लालिमा के साथ प्रकट हो जाता है. 22-23 जून को ग्रीष्म संक्रांति के दिन सूर्य डूबता ही नहीं. इसी तरह से दिसंबर के तीसरे सप्ताह में सूर्योदय दिन के 11.30 बजे होता है और चार घंटे बाद दोपहर 3.30 बजे अस्ताचल में डूब जाता है. एक समय, शीत संक्रांति के समय सूर्य के दर्शन होते ही नहीं. चहुंओर बिछी बर्फ की चादरों के बीच अंधेरा छाया रहता है.

प्राचीनतम संसद (अल्थिंगी) !

 
 
थिंगवेल्लिर में लावा चट्टानों के पास इसी जगह बनी
थी आइसलैंड की पहली संसद, 'अल्थिंगी'
करीबन दो लाख 80 हजार की कुल आबादी (2005 में) के हिसाब से बहुत छोटा (हमारे करोल बाग से भी छोटा) देश होने के बावजूद आइसलैंड भी भारत की तरह ही प्राचीन सभ्यता-संस्कृति एवं प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं का देश है. वहां 930 में ही आइसलैंड के शासकों ने संविधान रचा था. इसके साथ ही थिंगवेल्लिर के पास खुले मैदान में ‘अल्थिंगी’ (एक तरह की संसद) के गठन के साथ संसदीय लोकतंत्र ने वहां काम करना शुरू कर दिया था. वह विश्व की शायद सबसे पहली संसद थी जो आज भी चलन में है.


अमेरिका की खोज वाइकिंग्स ने की थी !


  आबादी भले ही बहुत कम हो, लेकिन एक लाख तीन हजार वर्ग किमी. क्षेत्रफल के साथ आइसलैंड यूरोप में ब्रिटेन के बाद दूसरा और विश्व में अठारहवां सबसे बड़ा द्वीप है. हम अभी तक यही जानते रहे हैं कि अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलम्बस ने 1492 में की थी लेकिन आइसलैंड के लोग अपनी दस्तावेजी दंतकथाओं के आधार पर दावा करते हैं कि कोलम्बस के अमेरिका पहुंचने से पांच सौ साल पहले आइसलैंड के वाइकिंग (कबीलाई मछुआरे) वहां पहुंच गए थे. उन्होंने ही अमेरिका की खोज की थी. बताया गया कि 985 ईस्वी में एरिक, द रेड नामक एक व्यक्ति को किसी की हत्या के आरोप में आइसलैंड से निकाल दिया गया. उसने पश्चिम की ओर यात्रा की और ग्रीनलैंड की खोज कर डाली. ‘सागास ऑफ़ आइस्लैंडर्स’ के अनुसार, सन् 970 में पैदा हुए एरिक के पुत्र लीफर एरिक्सन ने 1000 ईस्वी में उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप (कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका) की खोज की थी. उसने इसे विन्लैंड कहा था. यही नहीं वाइकिंग्स धुर दक्षिण की ओर तुर्की, अफ्रीकी कोस्ट एवं कैनरी द्वीप भी गये थे. वे लोग रूस और युक्रेन भी गए थे.

  आइसलैंड की भाषा और लिपि नोर्डिक-आइसलैंडिक है जो प्राचीनकाल से चली आ रही है. शायद इसलिए भी यहां के लोगों को अपने प्राचीनतम ग्रंथों और अभिलेखों को पढ़ने-समझने में किसी तरह की कठिनाई नहीं हुई. उनके प्राचीन ग्रंथों-अभिलेखों से पता चलता है कि सर्वप्रथम आयरलैंड के भिक्षु 800 ईस्वी में यहां, आइसलैंड आए थे. नौवीं शताब्दी में, नॉर्स (नार्वे) लोग यहां रहने के लिए आए. आइसलैंड में बसावट 874 ईस्वी में नोर्डिक लोगों के द्वारा ही आरंभ की गई थी. पहला निवासी नॉर्स वाइकिंग (मछुआरा) इंगोल्फर अनर्सन था जिसने रेक्याविक में घर बनाया था. उसीने इस इलाके को आइसलैंड का नाम दिया. नार्वे के एक सेनापति ने, जो आइसलैंड के दक्षिण पश्चिम में रहता था, रेक्याविक कस्बे की स्थापना की थी.

  यद्यपि इससे पहले भी कई लोग इस देश में अस्थाई रूप से आए और रुके थे. उसके बाद भी आने वाले कई दशकों और शताब्दियों में अन्य बहुत से लोग आइसलैंड में आए. 1262-1264 में आइसलैंड, नार्वे के साम्राज्य, ओल्ड कोवेनेन्ट के अधीन हुआ और 1380 में जब नार्वे और स्वीडेन डेनमार्क के अधीन हुए तो आइसलैंड भी स्वतः डेनमार्क के राजा के अधीन हो गया. 1918 में डेनमार्क के साथ स्वशासी संप्रभु राज्य का दर्जा मिलने तक यह नार्वे और डेनमार्क द्वारा शासित रहा. डेनमार्क और आइसलैंड के बीच हुई एक संधि के अनुसार आइसलैंड की विदेश नीति का नियमन डेनमार्क के द्वारा किया जाना तय हुआ. 1944 में स्वतंत्र आइसलैंड गणराज्य की स्थापना होने तक दोनों देशों का राजा एक ही था.

  जब 9 अप्रैल, 1940 को जर्मनी ने डेनमार्क पर अधिकार कर लिया तो आइसलैंड की संसद, अल्थिंगी ने यह निर्णय लिया कि आइसलैंडवासियों को अपने देश का शासन स्वयं करना चाहिए, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की थी. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहले ब्रिटिश और बाद में अमेरिकी सैनिकों ने आइसलैंड का अधिकरण कर लिया ताकि जर्मन नाजी उस पर हमला न कर सकें. अंततः 17 जून 1944 को बिना किसी तरह के रक्तपात के  आइसलैंड एक पूर्ण स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य बना. तब से ही आइसलैंड के लोग 17 जून को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद आइसलैंड उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य बना, लेकिन यूरोपीय संघ का नहीं. 1958 और 1976 के बीच आइसलैंड और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक और बेसकीमती ‘कोड मछलियों’ को पकड़ने को लेकर तीन बार वार्ता हुई. इसे ‘कोड युद्ध’ कहा गया. मछली उद्योग पर निर्भरता ही एक ऐसा कारण है जो आइसलैंड को यूरोपीय संघ में सम्मिलित होने से रोके हुए है. उन्हें यह चिंता है कि यूरोपीय संघ का सदस्य बनने से देश के ऊपर कई तरह के नियामक लागू होंगे जिसके कारण मछली के कच्चे माल के प्रबंधन और प्रसंस्करण से उनका नियंत्रण समाप्त हो जाएगा.

  आइसलैंड के कई पहाड़, ज्वालामुखी, गरम चश्मे (हॉट स्प्रिंग्स), नदियां, छोटी झीलें, झरने, जल प्रपात, हिमनद और गीसिर इसे आकर्षक बनाते हैं. अंग्रेजी का ‘गीजर’ शब्द भी गीसिर नामक एक प्रसिद्ध गीजर से बना बताते हैं जो आइसलैंड के दक्षिणी भाग में स्थित है.
जमीन से निकलता गर्म पानी का फव्वारा, गीसिर 
या कहें गीजर (तस्वीर इंटरनेट के सौजन्य से)

वहां कुछ जगहों पर हर 20-25 मिनट के बाद जमीन से गरम पानी के फव्वारे निकलते रहते हैं. हिमनद इस द्वीपीय देश के 11 फीसदी भूभाग को ढके हुए हैं. सबसे बड़ा वात्नाजोकुल लगभग एक किमी मोटा है और यूरोप का सबसे बड़ा हिमनद है. जमीन का बड़ा हिस्सा बंजर है. केवल 1.3 प्रतिशत भूभाग पर खेती-बारी होती है. घास के बड़े मैदान और उनमें विचरण करते खूबसूरत घोड़े भी दिखते हैं. आइसलैंड के पास कृषि, मछली और भूतापीय ऊर्जा के अतिरिक्त अन्य कोई संसाधन नहीं है. इसलिए यहां की अर्थव्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मछली उत्पादों और उनके प्रसंस्करण मूल्यों पर होने वाले बदलावों का प्रभाव पड़ता है. शायद यह भी एक कारण है कि आइसलैंड के लोग अब पर्यटन उद्योग और आधुनिक प्रौद्योगिकी उद्योग (मुख्यतः सॉ़फ्टवेयर और जैव प्रौद्योगिकी) पर फोकस कर रहे हैं. बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आइसलैंडवासियों ने देश के आधारभूत ढांचे को सुधारने और अन्य कई कल्याणकारी कामों पर ध्यान दिया जिसके परिणामस्वरूप आइसलैंड, संयुक्त राष्ट्र के जीवन गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर विश्व का सर्वाधिक रहने योग्य देश बन गया. एक समय आइसलैंड की प्रति व्यक्ति आमदनी भी सबसे ज्यादा थी. गौरतलब है कि विश्व शतरंज के महानतम ग्रैंड मास्टर रहे अमेरिकी खिलाड़ी बाबी फिशर ने अमेरिका छोड़ने के बाद आइसलैंड की राजधानी रेक्याविक में ही घर बनाया था.


  आइसलैंड में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास एवं सेवानिवृत्ति के बाद नागरिकों का जीवन यापन सरकार की जिम्मेदारी है. वहां चार विश्वविद्यालय हैं. अधिकतर पुरुष और स्त्रियां नौकरी-रोजगार में लगे रहते हैं. अधिकतर पुरुष यदि मछली पकड़ने के रोजगार में हैं तो महिलाएं मछली प्रसंस्करण में लगी होती हैं. देश का पर्यटन काल आधिकारिक रूप से 31 मई से आरंभ होकर 1 सितंबर को समाप्त होता है. जून के आरंभिक महीनों में भी कई क्षेत्र और मार्ग बर्फ से ढके होते हैं. दुनिया भर से अधिकतर पर्यटक जून की समाप्ति और जुलाई के महीनों में आते हैं. अगस्त के महीने में प्रवासी पक्षी भी आते हैं. आइसलैंड का राष्ट्रीय पक्षी ‘पफिंस’ अगस्त के अंत होने तक कम दिखने लगता है. अगस्त पर्यटन के मौसम का आधिकारिक अंतिम महीना होता है. इसके बाद से दिन छोटे होने लगते हैं और लंबी रातों के साथ बर्फबारी का मौसम आरंभ हो जाता है. पर्यटन के दो-तीन महीनों के दौरान ही आइसलैंड में लगभग 10 लाख पर्यटक आते हैं.

आइसलैंड की शासन व्यवस्था में सर्वोपरि, संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति का चुनाव चार साल के कार्यकाल के लिए होता है. वह औपचारिक राष्ट्राध्यक्ष होता है. वह संसद यानी अल्थिंगी द्वारा पारित किसी भी कानून को रोक सकता है और उसे राष्ट्रीय जनमत संग्रह के लिए रख सकता है. विग्डिस फिन्बोगाडोटिर के रूप में 1980 में विश्व में पहली महिला राष्ट्रपति चुनने का कीर्तिमान आइसलैंड के पास ही है.
रेक्याविक स्थित आइसलैंड की मौजूदा संसद, अल्थिंगी

‘अल्थिंगी’ में 63 सदस्य होते हैं, उन्हें भी चार वर्षीय कार्यकाल के लिए ही चुना जाता है. वहां चुनाव उम्मीदवारों के नहीं बल्कि दलों के बीच होता है. दलों को मिले मत प्रतिशत के आधार पर अल्थिंगी के लिए सीटों का बंटवारा होता है. बहुमत प्राप्त दल अथवा दलों के गठबंधन को सरकार बनाने का अवसर मिलता है. सरकार का व्यावहारिक प्रमुख प्रधानमंत्री होता है, जो अपनी मंत्रिपरिषद के साथ अल्थिंगी के प्रति उत्तरदाई होता है. मंत्री पदों और मंत्रालयों का बंटवारा भी दलों को मिले मत प्रतिशत और फिर अल्थिंगी में उनकी सदस्य संख्या के आधार पर ही होती है. मंत्रिपरिषद की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा आम चुनाव के बाद की जाती है. लेकिन, नियुक्ति पर आम तौर पर राजनीतिक दलों के नेताओं में विचार-विमर्श होता है कि कौन से दल मंत्रिपरिषद में सम्मिलित हो सकते हैं और उनके बीच सीटों का बंटवारा कैसे होगा, लेकिन इस शर्त पर कि उस मंत्रिपरिषद को अल्थिंगी में बहुमत प्राप्त होगा. जब दलों के नेता अपने आप एक निर्धारित अवधि में किसी निष्कर्ष तक पहुंचने में असमर्थ होते हैं तो राष्ट्रपति अपनी शक्ति का प्रयोग करके मंत्रिपरिषद की नियुक्ति स्वयं करता या करती हैं. यद्यपि 1944 में गणतंत्र बनने के बाद से यहां अभी तक ऐसी नौबत नहीं आई है.


बहरहाल, केफ्लाविक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर डा. कलाम के भव्य स्वागत के बाद हम लोग तकरीबन 50 किमी दूर आइसलैंड की राजधानी रेक्याविक पहुंचे. पूरे रास्ते में जीव जंतु, पेड़ पौधों के निशान नहीं. धधकते- बुझे ज्वालामुखी की चट्टानें, लावा के ढेर भर नजर आ रहे थे. लेकिन रेक्याविक पहुंचने के बाद हमारा स्वागत एक बहुत ही खूबसूरत, साफ-सुथरे और व्यवस्थित शहर ने किया. हमारे ठहरने की व्यवस्था होटल रेडिसन ब्ल्यू सागा में थी. 29 मई को आधिकारिक तौर पर कोई कार्यक्रम नहीं था. शाम को हम अगल-बगल टहलते रहे. एक दुकान पर भी गये और उसकी सहृदय मालकिन से मिले. आइसलैंड के लंबे, तगड़े, नीली आंकों और सफेद-भूरे और पीले बालोंवाले स्त्री-पुरुष बहुत मिलनसार, मित्रवत, पढ़े-लिखे, सोफिस्टिकेटेड, ईमानदार और आधुनिक होते हैं. उक्त महिला में भी यह सारी खूबियां थीं. भाषा यहां आइसलैंडिक, नोर्डिक है लेकिन अंग्रेजी में काम चल जाता है. खासतौर से युवा तो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. दुकान में सामान बहुत महंगे थे. लेकिन उस महिला से हमें आइसलैंड और रेक्याविक के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिलीं. देर शाम हम समुद्र किनारे घूमने चले गये. रात के 10-11 बजे भी सूर्य सिर पर चमक रहा था. उसके बाद ही हमने लिखा था, ‘आधी रात का सूरज.’ बहुत ही सुंदर और नयनाभिराम दृश्य था, कल्पना से परे. होटल लौटे तो सवाल था कि रात के उजाले में सो कैसे सकेंगे. इसका इंतजाम भी हो गया. खिड़कियों पर लगे काले पर्दों को खोलकर रात के अंधेरे का एहसास कराया गया.
रेक्याविक में समुद्र किनारे


  30 मई की सुबह जल्दी ही जगना पड़ा था. रेक्याविक में होटल नोर्डिका में आइसलैंडिक-भारतीय व्यापार परिषद के द्वारा 'सिनर्जी ऐंड स्ट्रेंथ्स आफ ईस्ट ऐंड वेस्ट' पर आयोजित कार्यशाला में शामिल होना था. कार्यशाला में डा. कलाम का स्वागत करते हुए आइसलैंड के राष्ट्रपति ग्रिम्सन ने अपने देश को एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण प्रयोगशाला करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति डाक्टर कलाम का एक महान वैज्ञानिक के रूप में भी इस प्रयोगशाला में स्वागत है. उन्होंने कहा, "कलाम जैसे महान वैज्ञानिक के लिए हम जितनी भी प्रयोगशालाएं उपलब्ध करा पाएं, कम होंगी. लेकिन क्या करें, हमारा देश बहुत छोटा है." हाजिर जवाब डॉ. कलाम भी कहां चूकनेवाले थे, उन्होंने अपने भाषण में कहा, "हीरा छोटा होता है लेकिन उसका महत्व सभी जानते हैं." उन्होंने विज्ञान की भाषा का भी पुट जोड़ा और कहा, “नैनो प्रौद्योगिकी का प्रभाव अत्यंत व्यापक है. हमारे यहां छोटे को जितना स्नेह-सम्मान दिया जाता है, उतना किसी और को नहीं.’’ पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
क्रमशः

नोटः आइसलैंड की यात्रा से जुड़े रोचक एवं ज्ञानवर्धक संस्मरणों की अगली कड़ी में बताएंगे कि कैसे यहां के लोगों के आधा-तिहाई बच्चे होते हैं. कैसी है आइसलैंड के राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था. राजधानी रेक्याविक में किसने किया डा. कलाम के लिए इडली-बड़ा, सांभर का इंतजाम और कैसा है आइसलैंड का 'ब्ल्यू लगून'. इसके अलावा भी और बहुत कुछ हमारे इस ब्लाग में आपको देखने-पढ़ने को मिलेगा.