डा. कलाम के साथ विदेश भ्रमण (8)
आइसलैंड में डा.कलाम को मिला
इडली-बड़ा सांभर
जयशंकर गुप्त
30 मई को दोपहर का भोजन हम लोगों ने डा. कलाम के साथ रेक्याविक में भारतीय व्यंजनों के लिए मशहूर रेस्तरां 'आस्तुर इंडियाफ्लेगी’ में किया. इसकी मालकिन, बेंगलुरु की मूल निवासी चंद्रिका गुन्नर्सन ने डॉक्टर कलाम के लिए खांटी दक्षिण भारतीय-शाकाहारी भोजन (इडली, सांभर बड़ा और डोसे) का इंतजाम किया था. उनके रेस्तरां में बाकी लोगों के लिए भारतीय पद्धति और मसालों से बने उनकी पसंद के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजन भी उपलब्ध थे. चंद्रिका एक दशक पहले एक आइसलैंडिक गुनी गुन्नार के साथ शादी कर लेने के बाद यहां आई और यहीं की होकर रह गईं. गुन्नार से उनकी मुलाकात अमेरिका के एटलांटा, जॉर्जिया में पढ़ाई के दौरान हुई थी. उनके रेक्याविक पहुंचने से पहले वहां प्रामाणिक एशियाई-भारतीय भोजन उपलब्ध नहीं होता था. उन्होंने एशियाई-भारतीय मसालों और पद्धति से भारतीय रसोइयों द्वारा तैयार भोजन का ‘आस्तुर भारतीय रेस्तरां’ खोला जो बहुत जल्दी ही न सिर्फ भारतीयों बल्कि अन्य विदेशी पर्यटकों और आइसलैंड के लोगों का भी पसंदीदा रेस्तरां बन गया. चंद्रिका ने बताया कि उन्होंने नार्वे में भारत के राजदूत श्री सचदेव की मेजबानी में दिए जानेवाले रात्रिभोज में भी डा. कलाम के लिए खास तरह के दक्षिण भारतीय व्यंजनों- मेदु बड़ा, इडली, बड़ा, सांभर, दही भात और नारियल चटनी को शामिल किया है. पता चला कि आइसलैंड में कुछेक दर्जन भारतीय भी रहते हैं.![]() |
समुद्र किनारे लेखक (सबसे बाएं), केवी प्रसाद, खालिद अंसारी, कुमार राकेश नीरज वाजपेयी और विशेश्वर भट्ट |
रेक्याविक में भारतीय सांस्कृतिक संध्या
30 मई की शाम रेक्याविक के पास ही बेस्सताओएर स्थित राष्ट्रपति भवन में रात के खाने से पहले, डा. कलाम और आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन के सम्मान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के तत्वावधान में भारतीय शास्त्रीय नृत्य-संगीत संध्या आयोजित की गई. नृत्य संगीत के कलाकार दिल्ली से ही आए थे. भारतीय शास्त्री संगीत के प्रसिद्ध कलाकार, मोहन वीणा के जनक पंडित विश्व मोहन भट्ट के सुपुत्र सलिल विष्णु भट्ट ने मोहन वीणा पर राग बागेश्वरी की प्रस्तुति से भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ ही आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन और उनकी युवा पत्नी डोरिट मुस्येफ तथा स्थानीय लोगों की भी करतल ध्वनियां बंटोरी. तबले पर उनका साथ राम कुमार मिश्रा जी ने दिया और तानपुरे पर प्रीति भट्ट ने संगत की. वहीं पता चला कि डा. कलाम खुद भी वीणा बजाते हैं. इसी संगीत संध्या में शर्मिष्ठा मुखर्जी और उनकी टीम ने शिव अर्चना, छंदो ध्वनि, रिद्म एवं ध्वनि और महफिले तरन्नुम पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुत किया. उनके मनोहारी नृत्य ने लोगों को चमत्कृत सा कर दिया था. कई आइसलैंडिक कहते सुने गये कि भारतीय नृत्य और संगीत के बारे में सुना बहुत था, देखा पहली बार. गजब का है. हमने भी अपने पूर्व राष्ट्रपति, तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी की सुपुत्री शर्मिष्ठा का शानदार कत्थक नृत्य पहली बार ही देखा था.
राष्ट्रपति भवन में राजकीय रात्रिभोज और सहज-अनौपचारिक ग्रिम्सन परिवार
राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन द्वारा आयोजित राजकीय भोज के अवसर पर डॉ. कलाम ने अपने भाषण में कहा, "इस महान और मित्र देश में आना मेरे लिए सम्मान व प्रसन्नता की बात है. कल हमारे रेक्याविक आगमन पर आपने मेरे और मेरे शिष्टमंडल का जो हार्दिक स्वागत, सत्कार किया, उसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. आज ऐसे शानदार राजकीय भोज की मेजबानी करके आप आतिथ्य सत्कार की हवामाल सहश्राब्दि के प्राचीन उपदेश को भूले नहीं हैं,"अतिथि के घुटने हैं, ठंड से सुन्न,
उन्हें जरूरत है, गरमाइश की.
पर्वतों से गुजर कर, आया है जो शख्स
उसे जरूरत है भोजन की और नए कपड़ों की."
मैं बहुत पहले से आइसलैंड और इसकी कर्मठ जनता के प्रति आकर्षित रहा हूं, इसलिए भी यहां आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है. ऐतिहासिक दृष्टि से, आप के महान वाइकिंग पूर्वजों ने मानव जाति की अब तक की सबसे कठोर प्राकृतिक विपत्तियों का सफलतापूर्वक सामना किया. उनके अदम्य साहस ने ऐसी बौद्धिक सभ्यता की रचना की जो अपनी कठोरता और खोजी प्रवृत्ति के लिए जानी जाती है. सहस्राब्दि पूर्व रची गई हवामाल और अन्य एडायक कविताएं और विख्यात गाथाएं मानव जाति के लिए आज भी प्रासंगिक हैं. इसके बाद आपने विदेशी राजनीतिक व सामाजिक-आर्थिक प्रभुत्व के खिलाफ एक लंबा संघर्ष किया. हैलेडॉर लैक्सनेस ने अपनी साहित्यिक कृतियों में इस संघर्ष का इतना सुंदर चित्रण किया कि इसके लिए 1955 में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था. 1944 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद आइसलैंडवासी उसी दृढ़ता, साहस और अन्वेषण के साथ राष्ट्र निर्माण में लग गए जिसके लिए उनके पूर्वज विख्यात थे. वर्तमान में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आप की उपलब्धियों में ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत से लेकर जीनोम मानचित्रण के विविध क्षेत्र शामिल हैं.
आइसलैंड के उल्लेखनीय इतिहास की हमारी इतिहास यात्रा के साथ काफी समानता है जबकि संदर्भ अलग-अलग हैं. उदाहरण के लिए हमारी भी समुद्री यात्रा की ऐतिहासिक परंपरा रही है. भारतीयों ने भी विदेशी शासन के खिलाफ धैर्य पूर्ण संघर्ष किया और 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की. हम भी अपने देश के उत्थान में लगे हैं और आज हमारा देश दुनिया का विशालतम लोकतंत्र और चौथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, दवाई निर्माण, परमाणु और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की शानदार सफलताओं के बारे में सभी जानते हैं.
राष्ट्रपति महोदय, सन 2002 में भारत की आपकी ऐतिहासिक राजकीय यात्रा हमारे द्विपक्षीय इतिहास में एक निर्णायक घटना रही है. इस यात्रा के बाद से आइसलैंड द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को दिए जा रहे प्रोत्साहन की हम सराहना करते हैं. मेरी सरकार भी आपसी लाभ के लिए संबंध बढ़ाने के प्रति आपकी तरह प्रतिबद्ध है. हमारा विश्वास है कि आइसलैंड की मेरी यह यात्रा स्पष्टता और परस्पर जानकारी को प्रोत्साहित करके हमारे संबंधों को और गति प्रदान करेगी. इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय सिद्धांतों और ढांचों से खासकर आर्थिक व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहकार्य सुगम होगा. हमारे द्विपक्षीय व्यापार को आपसी तुलनात्मक लाभों विशेषकर मत्स्यिकी, वस्त्र निर्माण, खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने से फायदे हो सकते हैं. पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए जनसंपर्क को बढ़ावा देने की पर्याप्त संभावनाएं हैं.
भारत और आइसलैंड एक सहिष्णु सामाजिक वातावरण में बहुलतावादी लोकतंत्र, मानव अधिकार और स्वतंत्रता जैसे समान मूल्य रखते हैं. दोनों देश संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के प्रति वचनबद्ध हैं. हमारा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र के ढांचे को सामाजिक वास्तविकताओं के और अनुकूल तथा अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने के लिए इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को दिए जा रहे सैद्धांतिक व दृढ़ समर्थन के लिए आइसलैंड की बेहद सराहना करते हैं.”
इससे पहले राष्ट्रपति भवन में ही हुई प्रतिनिधिमंडस स्तर की बातचीत के बाद डा. कलाम और श्री ग्रिम्सन ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि आइसलैंड संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत समेत चार देशों-जर्मनी, जापान और ब्राजील- (ग्रुप 4) के मसौदा प्रस्ताव का सह प्रायोजक बनेगा. इसके लिए डा. कलाम ने आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन का शुक्रिया अदा किया. दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने बताया कि दोनों देश भूकंप की भविष्यवाणी, भूगर्भीय परिवर्तनों के अध्ययन, भू तापीय ऊर्जा उत्पादन के अलावा फार्मास्युटिकल एवं मत्स्यिकी उद्योगों के क्षेत्र में आपसी सहयोग और साझेदारी करेंगे. श्री ग्रिम्सन ने आइसलैंड में समुद्र से समृद्धि हासिल करने की कथा बताते हुए कहा कि उनका देश भारत को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की प्रौद्योगिकी के बारे में सहयोग करेगा. भारत ने अपने उपग्रह, कार्टोसेट-1 के जरिए स्विट्जरलैंड की आल्प्स पर्वत श्रेणियों की तरह ही आइसलैंड की तस्वीरें भी उतारने और उन्हें आइसलैंड को उपलब्ध कराने पर हामी भरी है. भारत आइसलैंड मैत्री संघ के अध्यक्ष भी रहे श्री ग्रिम्सन ने कहा कि डा. कलाम सिर्फ राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक बेहतर इन्सान भी हैं. उन्होंने दोनों देशों की तुलना दुनिया के सबसे बड़े और टिकाऊ (भारत) तथा सबसे पुराने लेकिन सबसे छोटे लोकतंत्र (आइसलैंड) से करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भारत अपनी नई क्षमताओं के साथ विश्व क्षितिज पर नये रूप में उभर कर आया है. इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में डा. कलाम ने उन्हें कार्टोसेट-1 से ली गई आल्प्स की तस्वीरें दिखाईं. ये तस्वीरें इतनी साफ और स्पष्ट हैं कि कंप्यूटर के सहारे बैठे बैठे भी आल्प्स की सैर की जा सकती है.
दो मंजिले राष्ट्रपति भवन में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर कोई ताम झाम नहीं दिखा. भारत से आए पत्रकारों के साथ बातचीत में श्री ग्रिम्सन बहुत ही सहज और अनौपचारिक लगे. वह अपनी युवा (दूसरी) पत्नी डोरिट मुस्येफ के साथ पत्रकारों के बीच आकर एक ही सोफे पर बैठ गये.
उनके साथ हमारा परिचय मुंबई से कांग्रेस के सांसद मिलिंद देवड़ा ने कराया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद रहे मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा के न सिर्फ गांधी परिवार बल्कि आइसलैंड के राष्ट्रपति के परिवार के साथ भी बहुत ही करीबी संबंध रहे. मुरली देवड़ा ने ही 2001 में सोनिया गांधी की आइसलैंड यात्रा करवाई थी. उनके साथ राहुल गांधी भी वहां गए थे. मिलिंद के प्रति ग्रिम्सन परिवार का स्नेह साफ दिखता था. परिचय के दौरान ही पता चला कि हमारे, हिन्दुस्तान टाइम्स की मालकिन शोभना भरतिया के साथ भी ग्रिम्सन परिवार और खासतौर से डोरिट मुस्येफ के करीबी और अंतरंग रिश्ते हैं. मेरे हिन्दुस्तान टाइम्स से जुड़ा होने का पता चलते ही डोरिट ने कहा, “ओह, तो आप हिन्दुस्तान (टाइम्स) से हैं. वहां हमारी एक दोस्त भी हैं, शोवना (भरतिया). हम दोनों जल्दी ही लंदऩ में दोपहर के भोजन पर मिलनेवाले हैं.” फिर उन्होंने मेरे हाथ से नोटबुक लेकर उस पर कुछ लिखा और कहा इसे आप उसे दे देना. यह बताने पर कि शोभना भरतिया हमारे अखबार की एडिटोरियल डाइरेक्टर, मालकिन हैं, श्रीमती मुस्येफ ने कहा, ‘हां, जानती हूं. लेकिन हमारी तो वह मित्र हैं.’ उनहोंने मुझे अपने पति, राष्ट्रपति ग्रिम्सन से अलग से मिलवाया. इसके बाद तो हम लोग बहुत अनौपचारिक हो गये. श्री ग्रिम्सन ने बड़े ही अनौपचारिक और बेतकल्लुफ अंदाज में बातें करनी शुरू कर दी. वह देर तक आइसलैंड की प्रगति और विकास, भारत के साथ अपने संबंधों, अपनी भारत की यात्राओं, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ अपनी मुलाकातों और संबंधों के बारे में बतियाते रहे. उन्होंने बताया कि राजीव गांधी ऐसे विजनरी और संभावनाशील नेता थे जिन्हें यूरोप और अमेरिका भी बड़े गौर से सुनता था लेकिन वह असमय आतंकवाद का शिकार बन गए थे.
31 मई को मीडिया के लोगों के लिए दोपहर का भोजन आइसलैंड सरकार के आतिथ्य में रेक्जाविक के एक रेस्तरां में कराया गया. साथ में हमारे विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा और उनके सहयोगी भी थे. किसी एक साथी के पूछने पर कि ड्रिंक का इंतजाम नहीं है क्या! रेस्तरां के मैनेजर ने बताया कि हमारे पास ड्रिंक की व्यवस्था तो है लेकिन ड्रिंक आपके मीनू में शामिल नहीं है. आइसलैंड सरकार की तरफ से मेजबानी में लगी एक महिला अधिकारी ने पूछने पर बड़े ही संकोची भाव से कहा, माफ कीजिए हम इस खर्च का वहन नहीं कर पाएंगे. इस पर मुस्कराते हुए राहुल ने कहा कि कोई बात नहीं है, हम कर लेंगे. आप हमारे साथ ड्रिंक ले तो सकती हैं.
लंच के बाद उसी दिन दोपहर में आइसलैंड के प्रधानमंत्री हेल्लडोर एग्रिम्सन के साथ डा. कलाम की द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान पता चला कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आइसलैंड में भी बहुत लोकप्रिय हैं.
आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ यहां तकरीबन सभी आइसलैंडवासियों ने देखी है. इस पर डा. कलाम ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री एग्रिम्सन उचित स्थान उपलब्ध करा सकें तो वह भारत से महात्मा गांधी की बेहतरीन प्रतिमा यहां भिजवा सकते हैं. इस पर एग्रिम्सन ने हामी में सिर हिलाया. उन्होंने कहा कि आइसलैंड में बालीवुड की फिल्में अंग्रेजी में डब (रूपांतरित) करके दिखाई जा सकती हैं. भारतीय फिल्म उद्योग यहां अपनी फिल्मों की शूटिंग भी कर सकता है. सरकार उन्हें हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी.
इस अवसर पर दोनों देशों के बीच विमानन सेवाओं संबंधी दो समझौतों और विदेश विभाग के विचार विमर्श संबंधी समझौते किए गए समझौतों के सहमति पत्रों पर डॉ कलाम, जगदीश टाइटलर, प्रफुल्ल पटेल एवं भारतीय शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों और आइसलैंड के प्रधानमंत्री एग्रिम्सन तथा वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए. हवाई सेवाओं से संबंधित दो समझौतों पर भारत की ओर से नार्वे में भारत के राजदूत महेश सचदेव (उस समय सचदेव ही आइसलैंड का राजनय भी देखते थे.) ने हस्ताक्षर किए. सहमति पत्र समेत इन दो समझौतों से नागरिक उड्डयन और लोगों का लोगों से संपर्क, पर्यटन, विमानों के लेनदेन तथा अन्य मुद्दों पर व्यापक रूप से सहयोग बढ़ने की उम्मीद जताई गई.
आइसलैंड की आधी से अधिक जनसंख्या राजधानी रेक्याविक में ही रहती है. कानून और व्यवस्था का आलम यह है कि चोरी-डकैती, मारपीट की घटनाएं नहीं के बराबर होती हैं. लोगों के घरों में ताले भी नहीं दिखते. पिछले साल (2004 में) यहां गफलत में किसी एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी तो पूरे देश में बवाल मच गया था. यहां राष्ट्रपति भवन में भी सुरक्षा का खास तामझाम नहीं था. साथ चल रहे ड्राइवर ने बताया कि राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित चर्च में वह अपनी पत्नी के साथ अक्सर बेरोकटोक आते-जाते हैं. यहां अधिकतर लोग लूथरन प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं. आइसलैंड में अपनी कोई स्थाई सेना नहीं है. नाटो का सदस्य होने के नाते बाह्य सुरक्षा की बहुत कुछ जिम्मेदारी नाटो या कहें अमेरिका पर होती है. केफ्लाविक हवाई अड्डे पर नाटो का एक एयर बेस भी है.
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य की जिम्मेदारी होने का असर आइसलैंड में बीमार पड़नेवालों की संख्या नगण्य होने और अस्पताल तकरीबन खाली पड़े रहने के रूप में हमें भी देखने को मिला. रेक्याविक प्रवास के दौरान एक दिन बाथरूम में फिसल जाने के कारण राष्ट्रपति डा. कलाम के प्रेस सचिव एस एम खान की बाईं बांह में फ्रैक्चर हो गया. उन्हें विदेश मंत्रालय के अधिकारी टेकी प्रसाद तकरीबन खाली पड़े अस्पताल में ले गए. वहां एक भी स्थानीय मरीज नहीं था लेकिन डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ ड्यूटी पर मुश्तैद थे. कुछ घंटों बाद किसी कैमरा मैन का ट्राईपोर्ट गिर जाने के कारण विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा के पैर पर गहरा जख्म हो गया. उन्हें भी उसी अस्पताल में ले जाया गया जहां श्री खान का पहले से ही इलाज चल रहा था. राहुल छाबड़ा को अस्पताल में देखकर एक नर्स ने चूहलबाजी के अंदाज में कहा, ‘आइए, स्वागत है. आप लोगों को लगा कि हम यहां खाली बैठे रहते हैं, सो एक और मरीज ले आए ताकि हमें भी कुछ काम मिल जाए.’ आइसलैंड में स्त्रियों की औसत उम्र 86 वर्ष तथा पुरुषों की 83 वर्ष बताई गई.
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आइसलैंड के राष्ट्रपति ओलाफुर रेग्नर ग्रिम्सन के साथ बातचीत में शामिल लेखक, राजेश सिन्हां रितू सरीन और केवी प्रसाद पीछे खड़ी हैं डोरिट मोस्येफ |
31 मई को मीडिया के लोगों के लिए दोपहर का भोजन आइसलैंड सरकार के आतिथ्य में रेक्जाविक के एक रेस्तरां में कराया गया. साथ में हमारे विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा और उनके सहयोगी भी थे. किसी एक साथी के पूछने पर कि ड्रिंक का इंतजाम नहीं है क्या! रेस्तरां के मैनेजर ने बताया कि हमारे पास ड्रिंक की व्यवस्था तो है लेकिन ड्रिंक आपके मीनू में शामिल नहीं है. आइसलैंड सरकार की तरफ से मेजबानी में लगी एक महिला अधिकारी ने पूछने पर बड़े ही संकोची भाव से कहा, माफ कीजिए हम इस खर्च का वहन नहीं कर पाएंगे. इस पर मुस्कराते हुए राहुल ने कहा कि कोई बात नहीं है, हम कर लेंगे. आप हमारे साथ ड्रिंक ले तो सकती हैं.
लंच के बाद उसी दिन दोपहर में आइसलैंड के प्रधानमंत्री हेल्लडोर एग्रिम्सन के साथ डा. कलाम की द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान पता चला कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आइसलैंड में भी बहुत लोकप्रिय हैं.
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राष्ट्रपति डा. कलाम के साथ आइसलैंड के प्रधानमंत्री हेल्डोर एग्रिम्सन. पीछे खड़े हैं जगदीश टाइटलर और सांसद एन पी दुर्गा तथा भारत और आइसलैंड के विदेश मंत्रालय के अधिकारी |
आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ यहां तकरीबन सभी आइसलैंडवासियों ने देखी है. इस पर डा. कलाम ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री एग्रिम्सन उचित स्थान उपलब्ध करा सकें तो वह भारत से महात्मा गांधी की बेहतरीन प्रतिमा यहां भिजवा सकते हैं. इस पर एग्रिम्सन ने हामी में सिर हिलाया. उन्होंने कहा कि आइसलैंड में बालीवुड की फिल्में अंग्रेजी में डब (रूपांतरित) करके दिखाई जा सकती हैं. भारतीय फिल्म उद्योग यहां अपनी फिल्मों की शूटिंग भी कर सकता है. सरकार उन्हें हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी.
इस अवसर पर दोनों देशों के बीच विमानन सेवाओं संबंधी दो समझौतों और विदेश विभाग के विचार विमर्श संबंधी समझौते किए गए समझौतों के सहमति पत्रों पर डॉ कलाम, जगदीश टाइटलर, प्रफुल्ल पटेल एवं भारतीय शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों और आइसलैंड के प्रधानमंत्री एग्रिम्सन तथा वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए. हवाई सेवाओं से संबंधित दो समझौतों पर भारत की ओर से नार्वे में भारत के राजदूत महेश सचदेव (उस समय सचदेव ही आइसलैंड का राजनय भी देखते थे.) ने हस्ताक्षर किए. सहमति पत्र समेत इन दो समझौतों से नागरिक उड्डयन और लोगों का लोगों से संपर्क, पर्यटन, विमानों के लेनदेन तथा अन्य मुद्दों पर व्यापक रूप से सहयोग बढ़ने की उम्मीद जताई गई.
खाली पड़े अस्पताल!
आइसलैंड की आधी से अधिक जनसंख्या राजधानी रेक्याविक में ही रहती है. कानून और व्यवस्था का आलम यह है कि चोरी-डकैती, मारपीट की घटनाएं नहीं के बराबर होती हैं. लोगों के घरों में ताले भी नहीं दिखते. पिछले साल (2004 में) यहां गफलत में किसी एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी तो पूरे देश में बवाल मच गया था. यहां राष्ट्रपति भवन में भी सुरक्षा का खास तामझाम नहीं था. साथ चल रहे ड्राइवर ने बताया कि राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित चर्च में वह अपनी पत्नी के साथ अक्सर बेरोकटोक आते-जाते हैं. यहां अधिकतर लोग लूथरन प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं. आइसलैंड में अपनी कोई स्थाई सेना नहीं है. नाटो का सदस्य होने के नाते बाह्य सुरक्षा की बहुत कुछ जिम्मेदारी नाटो या कहें अमेरिका पर होती है. केफ्लाविक हवाई अड्डे पर नाटो का एक एयर बेस भी है.
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य की जिम्मेदारी होने का असर आइसलैंड में बीमार पड़नेवालों की संख्या नगण्य होने और अस्पताल तकरीबन खाली पड़े रहने के रूप में हमें भी देखने को मिला. रेक्याविक प्रवास के दौरान एक दिन बाथरूम में फिसल जाने के कारण राष्ट्रपति डा. कलाम के प्रेस सचिव एस एम खान की बाईं बांह में फ्रैक्चर हो गया. उन्हें विदेश मंत्रालय के अधिकारी टेकी प्रसाद तकरीबन खाली पड़े अस्पताल में ले गए. वहां एक भी स्थानीय मरीज नहीं था लेकिन डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ ड्यूटी पर मुश्तैद थे. कुछ घंटों बाद किसी कैमरा मैन का ट्राईपोर्ट गिर जाने के कारण विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राहुल छाबड़ा के पैर पर गहरा जख्म हो गया. उन्हें भी उसी अस्पताल में ले जाया गया जहां श्री खान का पहले से ही इलाज चल रहा था. राहुल छाबड़ा को अस्पताल में देखकर एक नर्स ने चूहलबाजी के अंदाज में कहा, ‘आइए, स्वागत है. आप लोगों को लगा कि हम यहां खाली बैठे रहते हैं, सो एक और मरीज ले आए ताकि हमें भी कुछ काम मिल जाए.’ आइसलैंड में स्त्रियों की औसत उम्र 86 वर्ष तथा पुरुषों की 83 वर्ष बताई गई.
आधे-तिहाई बच्चों के परिवार
आइसलैंड में कानून व्यवस्था दुरुस्त है, नागरिकों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा भी है लेकिन उनकी सामाजिक व्यवस्था भारतीय मानस के मुताबिक बहुत अजीब और जटिल है. आइसलैंड के आधुनिक एवं खुले समाज में बहुत सारी स्त्रियां शादी से पहले भी मां बन चुकी होती हैं. बहुत सारे लोगों के आधे-तिहाई बच्चे, अलग अलग मां-बाप से होते हैं. बातचीत में घुल मिल सा गया होटल रेडिसन ब्ल्यू सागा में स्टुअर्ट के काम में लगे कालेज छात्र गर्दर स्कार्वासन ने यह पूछने पर कि उसके परिवार में और कौन कौन हैं! उसने बताया कि उसके माता-पिता के साथ ही उसके ढाई भाई हैं. यह कैसे ! मेरे पूछने पर उसने समझाया कि वह अपनी मां और पिता का पुत्र है जो इस समय उनके साथ रहता है. उसकी मां का एक और बेटा उनके पूर्व पति से है. उसके पिता के भी दो और बेटे उनकी पूर्व पत्नियों से हैं. आइसलैंड में तलाक के मामले बहुत अधिक, तकरीबन 50 फीसदी हैं. इसे यहां लोग सामाजिक बुराई नहीं मानते. हमारे साथ चल रहा ड्राइवर बताता है कि अधिकतर लोग मछुआरे हैं जो मछली पकड़ने के लिए गहरे उफनते प्रशांत महासागर में जाकर मछली पकड़ते हैं. कई बार उनमें से कुछ लोग लौटकर आते भी नहीं. इसलिए भी यहां की समाज व्यवस्था में उलट फेर होते रहते हैं. लोग बीवियां और शौहर बदलते रहते हैं.
गर्दर स्कार्वासन के अनुसार आइसलैंड में हर कोई काम यानी जीविकोपार्जन करता है. यहां तक कि स्कूल कालेजों के छात्र-छात्राएं भी खाली समय में अतिरिक्त काम करके अच्छी कमाई कर लेते हैं. गर्मियों यानी पर्यटन के मौसम में जब पर्यटकों की आमद बढ़ती है तो ऐसे तमाम लड़के-लड़कियों को होटलों, रेस्तराओं में काम मिल जाता है. ड्राइवर ने बताया कि वहां घंटों के काम के हिसाब से भुगतान मिलता है. एक घंटे काम के बदले एक हजार आइसलैंडिक क्रोन यानी 17-18 डालर मिल जाते हैं. अगर पति पत्नी दोनों दिन में आठ घंटे काम करें तो महीने में औसतन 7-8 हजार डालर कमा लेते हैं. इसमें से आधे से थोड़ी ही कम रकम विभिन्न करों के रूप में सरकार के पास चली जाती है. लेकिन लोगों को इसका गम नहीं क्योंकि मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, एवं एक हद तक रोजगार की गारंटी भी उन्हें सरकार से ही मिलती है. सरकारी मदद उस समय बड़े काम की होती है जब सर्दियों और बर्फबारी के महीनों में रोजगार नगण्य से हो जाते हैं.
आइसलैंड और रेक्याविक में लोगों की आमदनी ज्यादा होने के साथ ही महंगाई भी उसी अनुपात में दिखी. समुद्र किनारे टहलते समय एक अमेरिकी पर्यटक विक्टर गाबॉय ने बताया कि उनका न्यूयार्क शहर बहुत महंगा है लेकिन रेक्याविक तो उससे भी कहीं बहुत ज्यादा महंगा है. खासतौर से खान-पान और खासतौर से करों का बोझ ज्यादा होने के कारण शराब यहां बहुत महंगी है. समझदार लोग (पर्यटक) हवाई अड्डे से ही ड्यूटी फ्री दुकानों से मनपसंद वाइन, शराब, बियर आदि का कोटा साथ लाते हैं. महंगाई की एक झलक हमें रेक्याविक के एक बड़े जनरल स्टोर में एक खूबसूरत कढ़ाईवाले गर्म स्वेटर की कीमत पूछने पर भी देखने को मिली. स्वेटर की कीमत थी 14 हजार क्रोन यानी 215 अमेरिकी डालर यानी तकरीबन 12 हजार रुपये. इसी तरह से एक शापिंग मॉल में चमड़े की एक जैकेट की कीमत 25 से 28 हजार रुपये बताई गई (यह कीमतें 2005 के मई महीने की हैं). वहां मीडिया को लेकर भी अजीब बातें पता चलीं. बताया गया कि सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रसारित अखबार वहां मुफ्त बंटता है. तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के अपने अखबार होते हैं जो अन्य तरह के सभी समाचारों के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर अपने दल के रुख से भी लोगों को अवगत कराते हैं. होटल में स्टुअर्ट गर्दर स्कार्वासन के अनुसार स्थानीय लोगों का सबसे लोकप्रिय टीवी चैनल ‘नेकेड न्यूज’ है जो न सिर्फ आइसलैंड में बल्कि अन्य स्कैंडेवियन देशों में भी प्रमुखता से देखा जाता है. उसमें सभी विषयों के राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय समाचार अन्य टीवी चैनलों की तरह ही दिखाए जाते हैं लेकिन एक बड़ा फर्क है कि ‘नेकेड न्यूज’ में हर न्यूज ब्रेक के बाद एंकर लेडी अपना एक कपड़ा उतार देती है और समाचार समाप्त होने तक वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो जाती है. इसे आप हमारे यहां टीवी चैनलों के बीच टीआरपी होड़ के साथ भी जोड़कर देख सकते हैं. थोड़े विषयांतर के साथ बता दूं कि 2008 में जब दुनिया भर में वैश्विक मंदी आई थी, एक देश के रूप में सबसे पहले आइसलैंड ही दिवालिया हुआ था. हालांकि बाद में वह बहुत जल्दी ही उस आर्थिक मंदी की चपेट से उबर भी गया था.
31 मई, मंगलवार को हम लोग आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन और डा. कलाम के साथ रेक्याविक के पास नेस्जवेल्लिर जियोथर्मल पावर प्लांट (भू तापीय विद्युत संयंत्र) देखने गये.
यह दुनिया का सबसे सबसे परिष्कृत जियोथर्मल हीटिंग सिस्टम बताया जाता है. आइसलैंड में इस तरह के पांच और भू तापीय विद्युत संयंत्र हैं जिनसे आइसलैंड में विद्युत आपूर्ति के साथ ही सर्दियों में होटलों, कार्यालयों और घरों को गर्म रखने और गर्म पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक भाप से 750 मेगावाट बिजली और 60 मिलियन क्यूबिक मीटर गर्म पानी पैदा करने वाली एक जल वितरण प्रणाली के प्राकृतिक संसाधन के उपयोग ने आइसलैंड में जीवाश्म ईंधन पर शहरों की निर्भरता को बड़े पैमाने पर कम कर दिया है. शायद इसलिए भी रेक्याविक दुनिया के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक है. डा. कलाम ने नेजावेल्लिर में भू-तापीय ऊर्जा और हाइड्रोजन के उपयोग पर एक संगोष्ठी में भी भाग लिया. बाद में उन्होंने आइसलैंड विश्वविद्यालय में स्थित ‘नोर्डिक वोल्कानोलॉजिकल सेंटर ऑफ अर्थ साइंस में भूकंप और समुद्री तूफान से जुड़े पूर्वानुमान और भविष्यवाणी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों से उनकी प्रयोगशालाओं में साथ बैठकर बातें की और इस बात की संभावनाएं तलाशने में लगे रहे कि इन परीक्षणों और अनुभवों का भारत के लिए क्या लाभ हो सकता है.
डा. कलाम वहां हाईड्रोजन रिफ्यूएलिंग सेंटर भी गए और देखा समझा कि कैसे वहां बस गाड़ियां हाईड्रोजन गैस से चलती हैं. उन्होंने भारत में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर भी विचार किया.
गर्दर स्कार्वासन के अनुसार आइसलैंड में हर कोई काम यानी जीविकोपार्जन करता है. यहां तक कि स्कूल कालेजों के छात्र-छात्राएं भी खाली समय में अतिरिक्त काम करके अच्छी कमाई कर लेते हैं. गर्मियों यानी पर्यटन के मौसम में जब पर्यटकों की आमद बढ़ती है तो ऐसे तमाम लड़के-लड़कियों को होटलों, रेस्तराओं में काम मिल जाता है. ड्राइवर ने बताया कि वहां घंटों के काम के हिसाब से भुगतान मिलता है. एक घंटे काम के बदले एक हजार आइसलैंडिक क्रोन यानी 17-18 डालर मिल जाते हैं. अगर पति पत्नी दोनों दिन में आठ घंटे काम करें तो महीने में औसतन 7-8 हजार डालर कमा लेते हैं. इसमें से आधे से थोड़ी ही कम रकम विभिन्न करों के रूप में सरकार के पास चली जाती है. लेकिन लोगों को इसका गम नहीं क्योंकि मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, एवं एक हद तक रोजगार की गारंटी भी उन्हें सरकार से ही मिलती है. सरकारी मदद उस समय बड़े काम की होती है जब सर्दियों और बर्फबारी के महीनों में रोजगार नगण्य से हो जाते हैं.
आइसलैंड और रेक्याविक में लोगों की आमदनी ज्यादा होने के साथ ही महंगाई भी उसी अनुपात में दिखी. समुद्र किनारे टहलते समय एक अमेरिकी पर्यटक विक्टर गाबॉय ने बताया कि उनका न्यूयार्क शहर बहुत महंगा है लेकिन रेक्याविक तो उससे भी कहीं बहुत ज्यादा महंगा है. खासतौर से खान-पान और खासतौर से करों का बोझ ज्यादा होने के कारण शराब यहां बहुत महंगी है. समझदार लोग (पर्यटक) हवाई अड्डे से ही ड्यूटी फ्री दुकानों से मनपसंद वाइन, शराब, बियर आदि का कोटा साथ लाते हैं. महंगाई की एक झलक हमें रेक्याविक के एक बड़े जनरल स्टोर में एक खूबसूरत कढ़ाईवाले गर्म स्वेटर की कीमत पूछने पर भी देखने को मिली. स्वेटर की कीमत थी 14 हजार क्रोन यानी 215 अमेरिकी डालर यानी तकरीबन 12 हजार रुपये. इसी तरह से एक शापिंग मॉल में चमड़े की एक जैकेट की कीमत 25 से 28 हजार रुपये बताई गई (यह कीमतें 2005 के मई महीने की हैं). वहां मीडिया को लेकर भी अजीब बातें पता चलीं. बताया गया कि सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रसारित अखबार वहां मुफ्त बंटता है. तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के अपने अखबार होते हैं जो अन्य तरह के सभी समाचारों के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर अपने दल के रुख से भी लोगों को अवगत कराते हैं. होटल में स्टुअर्ट गर्दर स्कार्वासन के अनुसार स्थानीय लोगों का सबसे लोकप्रिय टीवी चैनल ‘नेकेड न्यूज’ है जो न सिर्फ आइसलैंड में बल्कि अन्य स्कैंडेवियन देशों में भी प्रमुखता से देखा जाता है. उसमें सभी विषयों के राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय समाचार अन्य टीवी चैनलों की तरह ही दिखाए जाते हैं लेकिन एक बड़ा फर्क है कि ‘नेकेड न्यूज’ में हर न्यूज ब्रेक के बाद एंकर लेडी अपना एक कपड़ा उतार देती है और समाचार समाप्त होने तक वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो जाती है. इसे आप हमारे यहां टीवी चैनलों के बीच टीआरपी होड़ के साथ भी जोड़कर देख सकते हैं. थोड़े विषयांतर के साथ बता दूं कि 2008 में जब दुनिया भर में वैश्विक मंदी आई थी, एक देश के रूप में सबसे पहले आइसलैंड ही दिवालिया हुआ था. हालांकि बाद में वह बहुत जल्दी ही उस आर्थिक मंदी की चपेट से उबर भी गया था.
31 मई, मंगलवार को हम लोग आइसलैंड के राष्ट्रपति श्री ग्रिम्सन और डा. कलाम के साथ रेक्याविक के पास नेस्जवेल्लिर जियोथर्मल पावर प्लांट (भू तापीय विद्युत संयंत्र) देखने गये.
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नेस्जेवेल्लिर में जियोथर्मल पावर स्टेशन के पास डा. कलाम के साथ आइसलैंड के राष्ट्रपति ग्रिम्सन |
यह दुनिया का सबसे सबसे परिष्कृत जियोथर्मल हीटिंग सिस्टम बताया जाता है. आइसलैंड में इस तरह के पांच और भू तापीय विद्युत संयंत्र हैं जिनसे आइसलैंड में विद्युत आपूर्ति के साथ ही सर्दियों में होटलों, कार्यालयों और घरों को गर्म रखने और गर्म पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक भाप से 750 मेगावाट बिजली और 60 मिलियन क्यूबिक मीटर गर्म पानी पैदा करने वाली एक जल वितरण प्रणाली के प्राकृतिक संसाधन के उपयोग ने आइसलैंड में जीवाश्म ईंधन पर शहरों की निर्भरता को बड़े पैमाने पर कम कर दिया है. शायद इसलिए भी रेक्याविक दुनिया के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक है. डा. कलाम ने नेजावेल्लिर में भू-तापीय ऊर्जा और हाइड्रोजन के उपयोग पर एक संगोष्ठी में भी भाग लिया. बाद में उन्होंने आइसलैंड विश्वविद्यालय में स्थित ‘नोर्डिक वोल्कानोलॉजिकल सेंटर ऑफ अर्थ साइंस में भूकंप और समुद्री तूफान से जुड़े पूर्वानुमान और भविष्यवाणी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों से उनकी प्रयोगशालाओं में साथ बैठकर बातें की और इस बात की संभावनाएं तलाशने में लगे रहे कि इन परीक्षणों और अनुभवों का भारत के लिए क्या लाभ हो सकता है.
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नेस्जेवेल्लिर में जियो थर्मल पावर स्टेशन के पास मेरे बाएं कुमार राकेश और दाहिनी ओर विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ लेकिन मित्रवत अधिकारी राहुल छाबड़ा |
डा. कलाम वहां हाईड्रोजन रिफ्यूएलिंग सेंटर भी गए और देखा समझा कि कैसे वहां बस गाड़ियां हाईड्रोजन गैस से चलती हैं. उन्होंने भारत में इसके इस्तेमाल की संभावनाओं पर भी विचार किया.
भू-तापीय स्पा 'ब्ल्यू लगून' में डुबकी
हमने छात्र-युवा रहते एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, 'ब्ल्यू लगून'. पता चला कि आइसलैंड में एक अलग तरह का 'ब्ल्यू लगून' है. सहज उत्कंठा और अभिलाषा थी, इस 'ब्ल्यू लगून' को देखने की. डा. कलाम के साथ आइसलैंड प्रवास के आखिरी दिन हम, मीडिया के लोग अलग से दक्षिण-पश्चिमी आइसलैंड में रेक्याविक से 39 किमी और केफ्लाविक हवाई अड्डे से 20 किमी पहले ग्रिंडाविक के पास लावा क्षेत्र में थोर्बजोर्न पहाड़ के सामने स्थित एक भू-तापीय स्पा ‘द ब्ल्यू लगून’ में गये. इस मानव निर्मित कृत्रिम स्पा में पानी की आपूर्ति सवर्त्सेंगि भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र (स्टेशन) से की जाती है. ब्ल्यू लगून, आइसलैंड आनेवाले अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे सबसे बड़ा केंद्र कहा जाता है. कई बार तो लंबी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में आनेवाले पर्यटक ‘जेट लेग’ की समस्या दूर करने के लिए कहीं और जाने से पहले ब्ल्यू लगून में जमीन से निकलनेवाले गर्म पानी से बने पूल में डुबकी लगाकर तरोताजा होने को प्राथमिकता देते हैं.
हम लोग एक जून की सुबह यूक्रेन की राजधानी कीव के लिए उड़ान भरने से पहले रास्ते में पड़नेवाले ब्ल्यू लगून में रुक गये थे. डा. कलाम के साथ बाकी लोग किसी और आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेकर सीधे हवाई अड्डा पहुंचनेवाले थे. ब्ल्यू लगून का अनुभव वाकई मजेदार और शरीर को तरोताजा करनेवाला था. दूधिया-नीले रंग के पानीवाले ब्ल्यू लगून में डुबकी लगाने से पहले हमसे वहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग बने स्नानागार में नहा लेने के लिए तथा लगून में नहाने के लिए आवश्यक ‘स्विमिंग कास्ट्यूम’ पहन लेने के निर्देश दिए गए. काफी महंगा सौदा था लेकिन हम तो उनके मेहमान थे. वे लोग चाहते थे कि हम उनके इस भू तापीय स्पा को यथोचित प्रचार देकर भारतीय पर्यटकों को यहां आने और खासतौर से बालीवुड को यहां फिल्मों की शूटिंग करने के लिए प्रेरित करें. वैसे, इसमें कुछ गलत भी नहीं था. आइसलैंड सरकार के प्रतिनिधि का कहना था कि ब्ल्यू लगून के अलावा भी यहां बहुत सारे आकर्षक जल प्रपात, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ठिकाने, समुद्र, पहाड़, ग्लेशियर, लावा फील्ड्स और झरने हैं जो बालीबुड को पसंद आ सकते हैं. इसके अलावा स्थानीय शासन-प्रशासन उन्हें शूटिंग से जुड़ी अन्य सुविधाएं भी प्रदान कर सकता है.
बताया गया कि ब्ल्यू लगून का आइडिया 1976 में पास में ही स्वर्त्सेंगि भू तापीय बिजली संयंत्र के खुलने के कुछ समय बाद, उसके निकलनेवाले गर्म पानी के पूल या जलाशय के इस्तेमाल को ध्यान में रखकर बनाया गया. 1981 में, सोरायसिस (चर्म रोग) के एक रोगी ने संयंत्र से निकले जल में स्नान किया और ध्यान दिया कि पानी ने उसके सोरायसिस के लक्षणों को कम कर दिया. उसके बाद ही यह लगून प्रचलित और लोकप्रिय हो गया. आम लोगों के लिए भुगतान पर स्नान की सुविधा के साथ 1992 में ब्ल्यू लगून कंपनी की स्थापना हुई. 1990 के दशक में किए गए अध्ययनों ने पुष्टि की कि लगून का त्वचा रोग-सोरायसिस पर लाभकारी प्रभाव था. 1994 में यहां एक सोरायसिस क्लिनिक भी खोला गया. 1995 में ब्ल्यू लगून कंपनी ने सिलिका, सल्फर, शैवाल और नमक युक्त त्वचा उत्पादों की बिक्री भी शुरू कर दी. फिर तो पर्यटकों की आमद और उनकी आवश्यकताओं के मद्देनजर वहां रेस्तरां और बार भी खुल गया. कई तरह के पैकेज में कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाने लगीं. लगून में जमीन की सतह से तकरीबन 6000 फुट नीचे समुद्र से लगे जल श्रोतों से निकले गरम, खारे पानी में सिलिका, सल्फर, शैवाल की मात्रा भी होती है. सिलिका इस लगून या कहें झील के तल पर नरम सफेद मिट्टी बनाती है जिसे उसमें स्नान करने वाले अपने शरीर पर लेप करते हैं. हम लोगों ने भी किया. लगून में स्नान और तैराकी क्षेत्र में पानी का तापमान औसतन 37-39 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए एक निजी चेंजिंग रूम भी उपलब्ध है. लगून में नहाकर लौटने के बाद एक बार फिर नहाना पड़ता है. बताया गया कि लगून में पानी हर दूसरे दिन बदला जाता है. बहरहाल, हम लोगों ने इस लगून में भरपूर मजे किए. निकलने का मन ही नहीं हो रहा था. उधर हवाई अड्डे पर अधिकारियों की सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं क्योंकि डा. कलाम वहां पहुंचने ही वाले थे और हम लोगों का कुछ पता नहीं था. लेकिन पास में ही स्थित हवाई अड्डे पर हम लोग समय रहते पहुंच गये. विमान में चढ़ते समय किसी ने टोका, ब्ल्यू लगून से आ रहे हैं! उस समय एएनआई से जुड़े रहे पत्रकार राजेश सिन्हां याद करते हैं, 'एयर होस्टेस ने कहा, एवरीबडी इज ग्लोइंग.' थोड़ी देर बाद हमारे राष्ट्रपति डा. कलाम के लिए एयर इंडिया के विशेष विमान ‘तंजौर’ ने यूक्रेन की राजधानी कीव के लिए उड़ान भरा. तकरीबन चार घंटे की उड़ान के बाद हम लोग कीव में थे.
बताया गया कि ब्ल्यू लगून का आइडिया 1976 में पास में ही स्वर्त्सेंगि भू तापीय बिजली संयंत्र के खुलने के कुछ समय बाद, उसके निकलनेवाले गर्म पानी के पूल या जलाशय के इस्तेमाल को ध्यान में रखकर बनाया गया. 1981 में, सोरायसिस (चर्म रोग) के एक रोगी ने संयंत्र से निकले जल में स्नान किया और ध्यान दिया कि पानी ने उसके सोरायसिस के लक्षणों को कम कर दिया. उसके बाद ही यह लगून प्रचलित और लोकप्रिय हो गया. आम लोगों के लिए भुगतान पर स्नान की सुविधा के साथ 1992 में ब्ल्यू लगून कंपनी की स्थापना हुई. 1990 के दशक में किए गए अध्ययनों ने पुष्टि की कि लगून का त्वचा रोग-सोरायसिस पर लाभकारी प्रभाव था. 1994 में यहां एक सोरायसिस क्लिनिक भी खोला गया. 1995 में ब्ल्यू लगून कंपनी ने सिलिका, सल्फर, शैवाल और नमक युक्त त्वचा उत्पादों की बिक्री भी शुरू कर दी. फिर तो पर्यटकों की आमद और उनकी आवश्यकताओं के मद्देनजर वहां रेस्तरां और बार भी खुल गया. कई तरह के पैकेज में कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाने लगीं. लगून में जमीन की सतह से तकरीबन 6000 फुट नीचे समुद्र से लगे जल श्रोतों से निकले गरम, खारे पानी में सिलिका, सल्फर, शैवाल की मात्रा भी होती है. सिलिका इस लगून या कहें झील के तल पर नरम सफेद मिट्टी बनाती है जिसे उसमें स्नान करने वाले अपने शरीर पर लेप करते हैं. हम लोगों ने भी किया. लगून में स्नान और तैराकी क्षेत्र में पानी का तापमान औसतन 37-39 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए एक निजी चेंजिंग रूम भी उपलब्ध है. लगून में नहाकर लौटने के बाद एक बार फिर नहाना पड़ता है. बताया गया कि लगून में पानी हर दूसरे दिन बदला जाता है. बहरहाल, हम लोगों ने इस लगून में भरपूर मजे किए. निकलने का मन ही नहीं हो रहा था. उधर हवाई अड्डे पर अधिकारियों की सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं क्योंकि डा. कलाम वहां पहुंचने ही वाले थे और हम लोगों का कुछ पता नहीं था. लेकिन पास में ही स्थित हवाई अड्डे पर हम लोग समय रहते पहुंच गये. विमान में चढ़ते समय किसी ने टोका, ब्ल्यू लगून से आ रहे हैं! उस समय एएनआई से जुड़े रहे पत्रकार राजेश सिन्हां याद करते हैं, 'एयर होस्टेस ने कहा, एवरीबडी इज ग्लोइंग.' थोड़ी देर बाद हमारे राष्ट्रपति डा. कलाम के लिए एयर इंडिया के विशेष विमान ‘तंजौर’ ने यूक्रेन की राजधानी कीव के लिए उड़ान भरा. तकरीबन चार घंटे की उड़ान के बाद हम लोग कीव में थे.
क्रमशः अगले सप्ताह कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे और पिछली सदी में दो तरह की क्रांतियों के गवाह बने यूक्रेन की राजधानी कीव में तीन दिनों के प्रवास से जुड़े रोचक संस्मरण. कीव डा. कलाम के साथ इस विदेश भ्रमण का आखिरी पड़ाव था. कीव से ही हम लोगों की नई दिल्ली के लिए वापसी हुई थी.
शानदार लेख
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